ABC NEWS: पहाड़ों पर भारी बारिश मैदानी इलाकों के लिए मुसीबत के साथ वैज्ञानिकों के लिए सिरदर्द लाई है। मौसम और मानसून के हिसाब से यह बारिश पर्यावरणविदों के लिए पहेली बनी हुई है। हाल में वैश्विक टीम के साथ पहाड़ों की जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन कर चुके वैज्ञानिक अब इस बारिश के कारणों की पड़ताल में जुट गए हैं.
कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बारिश का असर दिल्ली, पंजाब और राजस्थान पर पड़ा है। मोटे तौर पर इसे क्लाइमेट चेंज यानि जलवायु परिवर्तन के कारण तो बताया जा सकता है. मगर इसके सूक्ष्म कारणों को देखने पर कुछ और नजर आ रहा है. अब तक के अध्ययन से पता चला है कि पहाड़ी क्षेत्रों में जंगल की आग से नाइट्रोजन का असंतुलन पैदा हुआ है जिसके कारण यहां तापमान और प्रदूषण बढ़ने से लेकर हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी ज्यादा हुआ है.
बीएचयू के पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के डॉ. किरपा राम इस अध्ययन दल के सदस्य रहे. उन्होंने बताया कि पहाड़ों पर इस बदलाव के कारण सल्फेट, नाइट्रेट के साथ ब्लैक और ब्राउन कार्बन एरोसोल में बढ़ोतरी हुई है. यह एक प्रकार से हाइड्रोफोबिक यानी पानी को सुखाने वाले होते हैं. ऐसे एरोसोल की मौजूदगी में भारी बारिश होना किसी बड़े परिवर्तन की तरफ इशारा कर रहा है.
ऐसे होती है बारिश
बीएचयू के प्रो. किरपा राम ने बताया कि दूसरे प्रकार के हाइड्रोजीनिक एरोसोल ज्यादातर बारिश के लिए जिम्मेदार होते हैं. बारिश तभी होती है जब वायुमंडलीय नमी के साथ मिलकर इन एरोसोल का आकार 10 माइक्रॉन से बड़ा हो जाता है. हालांकि पहाड़ों पर हाइड्रोजीनिक एरोसोल की मात्रा काफी कम मिली है. ऐसे में पहाड़ों पर हुई भारी बारिश के कारणों के बाकी पहलुओं की भी पड़ताल की जा रही है.