ABC NEWS: देश की धरती ‘सफेद सोना’ उगल रही है. जम्मू और कश्मीर के बाद राजस्थान से अच्छी खबर है, जहां भारी मात्रा में लिथियम का भंडार मिला है. इसके साथ ही अब भारत को चीन, चिली जैसे कई देशों पर लिथियम के लिए निर्भर नहीं रहना होगा. साथ ही लिथियम के लगातार बढ़ते वैश्विक बाजार के बीच इसे भारत के लिए खुशखबरी कहा जा सकता है. फिलहाल, लिथियम डिपॉजिट्स के मामले में बोलिविया देश शीर्ष स्थान पर है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के डेगाना में मिले इस लिथियम रिजर्व को लेकर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का दावा है कि यह जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से भी ज्यादा बड़ा है. रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि डेगाना में मिला भंडार भारत की 80 फीसदी लिथियम मांग को पूरा कर सकता है.
क्यों अहम है खोज?
फिलहाल, लिथियम रिजर्व के मामले में शीर्ष पांच देशों में बोलीविया, चिली, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अमेरिका का नाम शामिल है. ऐसे में जम्मू और कश्मीर और राजस्थान में इतने बड़े स्तर पर लिथियम की खोज भारत के लिए नया उपलब्धि हासिल की है. अब तक भारत को मैन्युफैक्चरिंग के लिए इन देशों पर निर्भर रहना पड़ता था. एक रिपोर्ट के अनुसार, लिथियम रिजर्व के मामले में अब भारत 5वां देश बन गया है.
कहां होता है इस्तेमाल?
फिलहाल, भारत में पेट्रोल-डीजल को छोड़कर इलेक्ट्रिक वाहनों की चर्चा जोरों पर है. इसी बीच लिथियम की इतनी बड़ी खोज सेक्टर के लिए भी फायदेमंद हो सकती है. दरअसल, लिथियम का इस्तेमाल इस तरह के वाहनों की बैटरी तैयार करने में किया जाता है. लैपटॉप, फोन की बैटरी में भी लिथियम बड़ी भूमिका निभाता है.
राजस्थान को कैसे फायदा
संभावनाएं जताई जा रही हैं कि राजस्थान में मिला भंडार लिथियम को लेकर चीन पर देश की निर्भरता खत्म कर देगा. इसके अलावा यह खोज राजस्थान के लिए भी काफी फायदेमंद है. बताया जा रहा है कि डेगाना में जिस जगह आज लिथियम मिला है, वहां 1914 में अंग्रेजों ने टंगस्टन मिनरल की खोज की थी.
अब यही टंगस्टन प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजी सेना के लिए हथियार बनाने और बाद में सर्जरी के उपकरण बनाने के काम आया. साल 1992-93 में चीन की नीति के चलते डेगाना के इस क्षेत्र से टंगस्टन निकालना काफी महंगा हो गया. नतीजा हुआ कि यहां इस मिनरल का उत्पादन बंद हो गया लेकिन अब लिथियम की मौजदगी इस इलाके को फिर गुलजार करने के लिए तैयार है.