पुरी में निकली भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा, अमित शाह ने अहमदाबाद में की मंगल आरती

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ABC NEWS: आज विश्व प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज निकाली जाएगी. लेकिन रथ यात्रा की धूम सिर्फ ओडिशा में ही नहीं, बल्कि गुजरात में भी है. गुजरात के अहमदाबाद में भी भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथयात्रा की आज यानि मंगलवार को निकाली गई है. भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र रथ में सवार होकर नगर यात्रा पर निकले हैं.

बता दें, ओडिशा के पुरी के बाद देश में सबसे भव्य तरीके से रथयात्रा का आयोजन गुजरात के अहमदाबाद में ही होता आया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सपरिवार मंगला आरती में शामिल हुए.

30 किलोमीटर की रथयात्रा की सुरक्षा की तैयारियां पिछले करीब एक माह से चल रही थीं. 25 हजार पुलिस अधिकारी व जवान इसकी सुरक्षा में तैनात हैं. जानकारी के मुताबिक, देश की दूसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा अहमदाबाद में निकलती है. सुबह 7:00 बजे गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने पहिंद विधि करके रथ यात्रा की शुरुआत की है.

उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट के जरिए लोगों को बधाई दी है. ट्वीट में उन्होंने लिखा है, ”रथ यात्रा की सभी को बधाई. जैसा कि हम इस पवित्र अवसर को मनाते हैं, भगवान जगन्नाथ की दिव्य यात्रा हमारे जीवन को स्वास्थ्य, खुशी और आध्यात्मिक समृद्धि से भर दे.”

बता दें, पीएम मोदी ने हर बार की तरह इस बार भी विशेष प्रसाद (नैवेद्य सामग्री) भेजा है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं

बता दें, रथयात्रा को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस बार पुलिस ने एंटी ड्रोन टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दिया है. किसी भी तरह की आशंका को देखते हुए पूरे शहर में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया है. इतना ही नहीं, अहमदाबाद के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

198 जगहों पर भव्य तरीके से रथयात्रा आयोजित करने की तैयारी

अहमदाबाद समेत पूरे गुजरात राज्य में इस बार करीब 198 जगहों पर भव्य तरीके से रथयात्रा आयोजित करने की तैयारी की गई. गुजरात में हर साल आयोजित होने वाले इस भव्य आयोजन को लेकर स्थानीय गुजराती समाज में खासा उत्साह देखने को मिलता है. बात करें, अहमदाबाद में आयोजित होने वाली यात्रा कि तो इसे देखने के लिए विदेशों से भी लोग अहमदाबाद आते हैं.

बिहार में भी रथयात्रा की धूम

इसके अलावा बिहार के धनबाद में इस्कॉन ने पिछले साल की तरह इस बार भी भव्य आकर्षक रथयात्रा यात्रा निकाली है. इसको लेकर धनबाद इस्कॉन से जुड़े 7 आईआईटियन के छात्रों ने इस बार अद्भुत और मोटर से संचालित होने वाले रथ का निर्माण किया है. या फिर यूं कहे कि  इस बार की रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ हाइड्रोलिक रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण कर रहे हैं.

रथ को 15 फीट से अधिक, गुंबज की ऊंचाई को और बढ़ा कर 30 फीट तक कर दिया गया था. साथ ही इस पूरे रथ में भगवान जगन्नाथ के सेवक के रूप में स्थापित किए गए चार घोड़े भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

क्या है इस त्योहार का महत्व

रथ यात्रा या रथ महोत्सव भगवान जगन्नाथ से जुड़ा एक हिंदू त्योहार है जो ओडिशा राज्य में श्री क्षेत्र पुरी धाम  में आयोजित किया जाता है. लेकिन गुजरात में भी यह रथ यात्रा निकाली जाती है. रथ यात्रा पुराने समय से होती आ रही है. इसका विवरण ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण और कपिला संहिता में भी मिलता है. रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ का उत्सव है.

यह त्योहार पुरी के सारदा बाली के पास मौसी मां मंदिर के माध्यम से जगन्नाथ की गुंडिचा मंदिर की वार्षिक यात्रा होती है. यह वार्षिक उत्सव आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. जगन्नाथ मंदिर के प्रमुख देवता, पुरी के मुख्य मंदिर, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा, आकाशीय चक्र के साथ- सुदर्शन चक्र को उनके रथों के लिए एक औपचारिक जुलूस में मंदिर से हटा दिया जाता है.

रथ को भक्तों की भीड़ खींचती जाती है

विशाल, रंगीन ढंग से सजाए गए रथ उत्तर में दो मील दूर गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना होती है. इस रथ को भक्तों की भीड़ खींचती जाती है. रास्ते में भगवान जगन्नाथ, नंदीघोष का रथ एक मुस्लिम भक्त सालबेगा के श्मशान के पास उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इंतजार करता है. गुंडिचा मंदिर से वापस जाते समय, तीन देवता मौसी मां मंदिर के पास थोड़ी देर के लिए रुकते हैं और पोडा पीठ का प्रसाद चढ़ाया जाता है. सात दिनों के प्रवास के बाद, देवता अपने निवास पर लौट आते हैं.

किससे किया जाता है रथों का निर्माण

जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के तीन रथों का निर्माण हर साल विशिष्ट पेड़ों जैसे फस्सी, ढौसा आदि की लकड़ी के साथ किया जाता है. वे परंपरागत रूप से पूर्व रियासत राज्य दासपल्ला से सुतार की एक विशेषज्ञ टीम द्वारा लाए जाते हैं जिनके पास वंशानुगत अधिकार और विशेषाधिकार हैं. लॉग को पारंपरिक रूप से महानदी में राफ्ट के रूप में स्थापित किया जाता है. इन्हें पुरी के पास एकत्र किया जाता है और फिर सड़क मार्ग से ले जाया जाता है.

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