ABC NEWS: UP के लखीमपुर खीरी जिले में एक किसान की मौत पर बंदर उसके घर पहुंच गया. शव पर पड़ी चादर हटाकर अंतिम दर्शन किए. फिर वहीं लेटकर रोने लगा. इसके बाद वह महिलाओं की गोद में सिर रखकर रोया. ये दृश्य देख वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया. बंदर करीब एक घंटे तक बैठा रहा. फिर कहीं चला गया.
यह मामला आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जा रहा है कि बंदर रोटी से पनपी दोस्ती का कर्ज निभाने पहुंचा था. बताया जा रहा है कि बंदर रोटी से पनपी दोस्ती का कर्ज निभाने पहुंचा था. बिजुआ क्षेत्र के गोंधिया निवासी चंदनलाल वर्मा की मंगलवार को मौत हो गई. परिजन और सगे संबंधियों का रो-रोकर बुरा हाल था. इसी समय एक बंदर कहीं से आ गया और मृतक चंदनलाल पर पड़ी चादर को हटाकर उनका चेहरा देखने लगा. ये देख ग्रामीण हैरान रह गए। ग्रामीणों के अनुसार बंदर परिजनों के पास ही बैठकर रोने लगा. रोती हुई महिलाओं पर अपना हाथ रखकर ढांढस भी बंधाया. बंदर की यह गतिविधि चर्चा का विषय बन गई.
पास-पड़ोसी और ग्रामीण भी बंदर को देखने लगे. बंदर पर ग्रामीणों की मौजूदगी का कोई असर नहीं पड़ा. वह शव के करीब ही बैठा रहा. परिजन और ग्रामीण जब चंदनलाल का शव अंतिम संस्कार के लिए लेकर चले तो बंदर भी कहीं चला गया. परिजनों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले जब चंदनलाल खेत में फसल बचाने जाते थे तो बंदर को खाना खिला देते थे. उस रोटी से ही बंदर और चंदनलाल में दोस्ती हो गई. बंदर उसी दोस्ती और रोटी के फर्ज को निभाने पहुंचा था.
परिजनों के अनुसार मृतक चंदनलाल वर्मा जंगल के किनारे जानवरों से फसल बचाने के लिए झोपड़ी डालकर दिनभर खेतों में रुकते थे. घर से जो खाना ले जाते उसमें से एक रोटी बंदर को दे देते थे. खाना खाने के समय बंदर उनके पास आ जाता था. बेटे सोनू ने बताया कि करीब एक वर्ष पहले पिता चंदनलाल को फालिज अटैक हो गया था.
इससे वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गए थे. चंदनलाल एक वर्ष से खेतों में नहीं गए थे. पता नहीं कैसे बंदर को उनकी मौत का पता चल गया। गांव के बुजुर्ग मोहनलाल वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी ना देखा और न ही सुना था. वाकई में जानवर, इंसान से ज्यादा संवेदनशील व समझदार होते हैं.