ABC News: यूपी के आजमगढ़ जिले में कांग्रेस नेता व अधिवक्ता राजनरायन सिंह हत्याकांड में शुक्रवार को न्यायालय ने पूर्व मंत्री व भाजपा नेता अंगद यादव समेत चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. गैंगस्टर के मामले में चारों को सात-सात साल की सजा, 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया.
19 दिसंबर 2015 को राजनरायन सिंह निवासी सम्मोपुर थाना सिधारी टहलने के लिए घर से निकले थे. पल्हनी ब्लाक मुख्यालय के सामने पहले से ही घात लगाए शूटरों ने फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी थी. राजनरायन सिंह की पत्नी सुधा सिंह ने पूर्व मंत्री अंगद यादव, अपने पट्टीदार सुनील सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस की विवेचना में शूटर के रूप में सरफुद्दीनपुर मुहल्ला निवासी अरुण यादव व शैलेश यादव उर्फ तेली का नाम प्रकाश में आया. सभी आरोपी जेल में बंद हैं. बसपा सरकार में मायावती ने उन्हें वन मंत्री बनाया था. इसके बाद लखनऊ में हुए लक्ष्मी नरायन यादव हत्याकांड में उनका नाम आया और काफी समय से जेल में बंद हैं. इस दौरान उन्होंने बसपा छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया था. उनके भतीजे मनोज यादव 2022 के विधानसभा चुनाव में निजामाबाद से भाजपा प्रत्याशी थे. पूर्व मंत्री समेत सभी आरोपी वर्तमान में जेल की सलाखों के पीछे हैं. राजनारायण सिंह हत्याकांड में चारों अरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई. तो वहीं इस प्रकरण में लगे गैंगस्टर के मामले में कोर्ट ने चारों अभियुक्तों को सात-सात साल की सजा के साथ ही 10-10 हजार के जुर्माने से दंडित किया.
लखनऊ में वर्षों पूर्व के लक्ष्मी नरायन यादव हत्याकांड में भी पूर्व मंत्री अंगद यादव नामजद थे. इस हत्याकांड में इन्हें पहले ही लखनऊ कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है. अंगद यादव और राजनारायन सिंह बहुत करीबी थे. राजनारायन सिंह ने ही अंगद यादव की बेटी का विवाह मुंबई के संपन्न परिवार में कराया था. बाद में लड़की के व्यवहार से परिवार वाले खुश नहीं थे. जिसके बाद मामले में मुकदमा दर्ज हो गया. इस मुकदमें को वापस लेने के लिए अंगद यादव ने राजनारायन सिंह पर दबाव बनाया था और अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी थी.