ABC News: राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने एक बार फिर से बगावती तेवर अपना लिए हैं. पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन का ऐलान कर दिया है जिससे पार्टी का संकट गहरा गया है. सूत्रों की मानें तो पायलट के मामले पर आलाकमान ने सख्त रुख अपनाते हुए संदेश दिया है कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पूरे मामले पर हाईकमान की नजर है. राजस्थान के प्रभारी प्रभात रंधावा को इस मामले में बात करने की जिम्मेदारी दी गई है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सचिन पायलट के मुद्दे पर कहा कि अगर किसी को कुछ कहना है तो वह प्रभारी से कहे. खेड़ा ने आगे कहा, राजस्थान से आने वाले बीजेपी के बड़े नेता गजेंद्र शेखावत पर संजीवनी मुद्दे पर मामला चल रहा है. हमारे एमएलए को खरीदने की कोशिश करके चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश की भी जांच चल रही है. पायलट के अपनी ही सरकार के खिलाफ और दिल्ली के नजदीकी गहलोत को लेकर उनके तेवर से पार्टी आलाकमान ज्यादा खुश नहीं दिखाई दिया है. पायलट के अनशन के ऐलान के बाद आलाकमान ने गहलोत का पक्ष लिया जिसके बाद माना जा रहा है कि उनकी कांग्रेस में आगे की राह अब बेहद मुश्किल हो सकती है और सूबे के दो दिग्गजों के बीच सुलह की संभावनाएं धुंधली होती नजर आ रही है. वहीं दूसरी ओर चर्चा है कि क्या सचिन पायलट भी अब हिमंता बिस्वा सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और गुलाम नबी आजाद की तरह अपना रास्ता बदल लेंगे और किसी दूसरे पाले से आगे की सियासत का खाका तैयार करेंगे. जानकारों का मानना है कि पायलट जिस सम्मान और इज्जत की लड़ाई को कांग्रेस में पिछले 4 साल से लड़ रहे हैं बीजेपी ने उनके समकक्ष नेताओं को वह सब दिया है.