कांग्रेस ने इस डर से प्रतिभा सिंह को नहीं बनाया हिमाचल प्रदेश का CM? जानिए क्या है रिस्क

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ABC NEWS: हिमाचल प्रदेश में सीएम के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर मुहर लग गई है. इससे पहले दोपहर तक प्रतिभा सिंह का नाम हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए सबसे आगे बताया जा रहा था लेकिन माना जा रहा है कि कई रणनीतिक वजहों से कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को सीएम न बनाने का निर्णय लिया है. प्रतिभा का नाम कटने के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं. इसमें नवनिर्वाचित विधायकों का उन्हें समर्थन न करना भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है. आइए जानते हैं अन्य कौन सी वजहें हैं…

जोर-शोर से उठा था नाम

हिमाचल प्रदेश में जैसे ही कांग्रेस बहुमत के जरूरी आंकड़े के करीब पहुंचा यहां प्रतिभा सिंह समर्थकों की जुटान शुरू हो गई. लगातार प्रतिभा के पक्ष में लामबंदी होने लगी. प्रतिभा सिंह का कहना था कि चुनाव उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया है। इस आधार पर वह खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता रही थीं. प्रतिभा सिंह के साथ ही उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम भी सीएम पद की रेस में बताया जा रहा था. हालांकि कल शाम सुखविंदर सिंह ने मीडिया के सामने अपना नाम सीएम की रेस से बाहर बताया था. वहीं, पूरे दिन कवायद के बावजूद कांग्रेस के दिग्गज नेता नाम पर आखिरी मुहर नहीं लगा सके थे. इसके बाद फैसला हाईकमान के ऊपर छोड़ दिया गया था. वहीं, आज सुखविंदर सिंह के नाम पर मुहर लग गई.

उपचुनाव का लेना होगा रिस्क

अब सवाल उठता है कि आखिर प्रतिभा सिंह का नाम सीएम पद की रेस से बाहर क्यों हो गया? इसके लिए सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि नए चुने गए विधायक उनके नाम पर एकमत नहीं थे. इसके अलावा एक बड़ा फैक्टर यह था कि प्रतिभा सिंह के सीएम बनने के बाद यहां पर दो-दो उपचुनाव कराने पड़ते। सबसे पहले तो प्रतिभा सिंह को सांसदी से इस्तीफा देना पड़ता. प्रतिभा सिंह मंडी से सांसद हैं, जिसे उन्होंने 2021 के उपचुनाव में महज 8,766 वोटों के अंतर से जीता था. इससे पहले मंडी लोकसभा सीट पर दो बार से भाजपा का कब्जा था और दोनों बार भाजपा उम्मीदवार ने यहां पर कांग्रेस को काफी बड़े अंतर से पटखनी दी थी. अगर प्रतिभा सिंह यह सीट छोड़तीं तो इस बात की गारंटी नहीं है कि कांग्रेस फिर से यहां जी पाएगी। ऐसे में पहले से कमजोर कांग्रेस का एक और सांसद कम हो जाएगा.

विधानसभा सीट भी जीतनी होती

दूसरी बात यह थी कि सीएम बनने के छह महीने के अंदर प्रतिभा सिंह को विधानसभा चुनाव जीतना जरूरी था. इसके लिए जरूरी होता कि कोई एक विधायक इस्तीफा दे. अब, जिस तरह के हाल में कांग्रेस चुनाव जीत रही है, वह यह रिस्क लेने की हालत में बिल्कुल नहीं है कि फिर से चुनाव लड़े. चुनाव लड़ने के बाद भी जीतने की कोई गारंटी नहीं थी. माना जा रहा है कि इसीलिए कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह के विकल्प से दूरी बनाना ही बेहतर समझा.

प्रतिभा को मनाने के लिए बेटे का दांव?

वहीं, कांग्रेस प्रतिभा सिंह को नाराज भी नहीं करना चाहती है. हालांकि वह पहले से ही यहां पर कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं. इसके अलावा माना जा रहा है कि प्रतिभा के बेटे विक्रमादित्य सिंह को डिप्टी सीएम का पद देकर पार्टी उन्हें खुश करने का प्रयास करेगी। बताया जा रहा है कि इस बात का प्रस्ताव कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने ही रखा है. हालांकि समाचार चैनलों से बातचीत में विक्रमादित्य सिंह ने इस बात को लेकर अनभिज्ञता जताई है. हालांकि डिप्टी सीएम का पद मुकेश अग्निहोत्री को दिया गया है. पहले उनका नाम सीएम पद की रेस में बताया जा रहा था.

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