स्कूल की प्रार्थना में 10वीं के छात्र को आया हार्ट अैटक, अस्पताल पहुंचने से पहले मौत

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ABC NEWS: भारत में पिछले कुछ महीनों से हार्ट अटैक के कई मामले सामने आए हैं. चाहे बड़ा-बूढ़ा हो या कोई बच्चा. सभी आयु वर्ग के लोग हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के छतरपुर से भी हार्ट अटैक की खबर सामने आई है. यहां सोमवार सुबह एक स्कूल में 17 साल का छात्र प्रार्थना के दौरान अचानक गिर गया.

स्कूल स्टाफ ने उसे सीपीआर देने की कोशिश की. लेकिन उसकी जान चली गई. बच्चे की मौत से परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है. मृतक सार्थक टिकरिया जाने माने व्यापारी आलोक टिकरिया का बेटा था. वह महर्षि विद्या मंदिर स्कूल में 10वीं कक्षा का छात्र था.

परिवार ने बताया कि सार्थक हमेशा की तरह सोमवार की सुबह 6 बजे जागा और तैयार होकर स्कूल चला गया. लगभग साढ़े 7 बजे से 8 बजे के बीच स्कूल में सभी बच्चे पढ़ाई के पूर्व प्रार्थना की पंक्ति में खड़े थे. तभी अचानक सार्थक जमीन पर गिर गया. बच्चे कुछ समझ पाते इससे पहले ही सार्थक बेहोश हो गया.

स्कूल के स्टाफ ने बच्चे को सीपीआर देने की कोशिश की और परिवार को सूचित किया. परिवार के लोग मौके पर पहुंचे, बच्चे को तुरंत जिला अस्पताल लाया गया लेकिन इसके पहले ही उसकी जान चली गई थी. सार्थक तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था. उसका एक बड़ा भाई और बड़ी बहन नोएडा और भुवनेश्वर में पढ़ रहे हैं.

शहर के टिकरिया मोहल्ले में रहने वाले आलोक टिकरिया के घर में हुई इस दर्दनाक घटना को जिसने भी सुना वह हैरान हो गया. सार्थक का अंतिम संस्कार मंगलवार की सुबह सिंघाड़ी नदी स्थित मुक्तिधाम पर किया जाएगा.

परिवार ने किया बेटे का नेत्रदान
17 साल के बेटे को गवां चुके परिवार का हर सदस्य इस समय सदमे में है. वहीं, पिता आलोक ने अपने बेटे की स्मृतियों को बचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया. बेटे की आंखों से कोई और इस संसार को देख सके, इसलिए बेटे के नेत्रदान का फैसला लिया. उन्होंने इस बारे में सद्गुरू नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट की टीम को सूचित किया.

मेडिकल टीम दोपहर 3 बजे छतरपुर पहुंची और एक छोटी सी सर्जरी के माध्यम से सार्थक की आंखों को निकाल लिया गया. अब इन आंखों को उस शख्स को डोनेट किया जाएगा जिन्हें दिखाई नहीं देता.

 बचाव के लिए मिलते हैं सिर्फ 10 मिनट
उधर, जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि जब सार्थक को अस्पताल लाया गया तो उसकी मौत हो चुकी थी. डॉक्टर ने बताया कि कई बार जैनेटिक कारणों से अथवा हृदय के रक्त प्रवाह मार्ग पर कैमिकल का संतुलन बिगड़ने के कारण ऐसी घटनाएं सामने आती हैं. इन मामलों में हृदय की गति अचानक बढ़ जाती है जिससे हृदय काम करना बंद कर देता है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है.

ऐसी घटनाओं में बचाव के लिए सिर्फ 10 मिनट का समय मिलता है. यदि इस दौरान मरीज की छाती पर तेजी से सीपीआर (दबाव) किया जाए तो कुछ और समय मरीज को मिल जाता है. हालांकि, ज्यादातर मामलों में मरीज की जान बचाना बेहद कठिन होता है. डॉ. अरविंद ने कहा कि कम उम्र  के लोगों में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. लेकिन कोरोना से इसका कोई संबंध है या नहीं इस बात की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है.

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