चीनी विमान ने चाइना सी पर रोका अमेरिकी जेट का रास्ता, दी खुली धमकी

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ABC NEWS: चीन और अमेरिका के बीच का टकराव और गंभीर होता जा रहा है. अब यह मामला दक्षिण चीन सागर तक पहुंच गया है। इसका नजारा देखने को मिला दक्षिण चीन सागर के ऊपर. यहां पर अमेरिकी नेवी का टोही जेट 21,500 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा है. यह विवादित पारासेल द्वीप समूह से 30 मील की दूरी पर है. यह ट्वीप समूह करीब 130 छोटे प्रवालद्वीपों का समूह है जिनमें से सबसे बड़ा, चीनी सैन्य ठिकानों का घर है. चीनी सेना के एयरपोर्ट से आ रही एक आवाज अमेरिकी नौसेना के पी-8 पोसाइडन के रेडियो पर सुनाई देती है. इस आवाज में कहा जा रहा है, ‘अमेरिकन एयरक्राफ्ट, चीनी एयरस्पेस 12 नॉटिकल मील दूर है। आगे बढ़ने पर जिम्मेदार आप खुद होंगे.’

चीनी विमान ने रोका रास्ता
इसके कुछ ही मिनट के बाद हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस एक चीनी लड़ाकू विमान ने अमेरिकी विमान को रोक दिया. सीएनएन के मुताबिक यह विमान चीनी बंदरगाह से सिर्फ 500 फीट की दूरी पर स्थित था. चीनी लड़ाकू जेट इतना करीब था, सीएनएन चालक दल पायलटों को उन्हें देखने के लिए अपना सिर घुमाते हुए देख सकता था. अमेरिकी प्लेन के पायलट निक्की स्लॉटर दो सीटों वाले, दो इंजन वाले पीएलए विमान का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि पीएलए लड़ाकू विमान, यह अमेरिकी नौसेना का पी-8ए है… मैंने आपको अपने बाएं विंग से हटा दिया है. इसके बाद वह कहते हैं कि मैं पश्चिम की ओर बढ़ने का इरादा रखता हूं. मैं आपसे भी ऐसा ही करने के लिए रिक्वेस्ट करता हूं. चीनी लड़ाकू विमान की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इस विमान ने मुड़ने से पहले 15 मिनट तक अमेरिकी विमान को एस्कॉर्ट किया. यह दक्षिण चीन सागर और अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव का स्पष्ट सबूत है.

दक्षिणी चीन सागर को लेकर है आक्रोश
गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में दक्षिणी चीन सागर एशिया पैसिफिक में एक महत्वपूर्ण फ्लैशपॉइंट के रूप में उभरा है. इसमें एक तो वह पैरासेल्स द्वीप है, जहां पर शुक्रवार को अमेरिकी विमान को रोका गया था. इसके अलावा चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के कुछ हिस्सों पर भी क्षेत्रीय दावे किए जाते हैं. यह न केवल मछली, तेल और गैस के रिर्सोसेज का पानी वाला रास्ता है, बल्कि एक तिहाई वैश्विक जहाजें भी इस क्षेत्र से गुजरती हैं. यह अनुमान सीएसआईएस चाइना पॉवर प्रोजेक्ट ने 2016 में लगाया था. चीन इस पूरे समुद्र पर ऐतिहासिक अधिकार क्षेत्र का दावा करता है. उसने 2014 के बाद से मिसाइलों, रनवे और हथियार प्रणालियों के साथ भारी किलेबंद कृत्रिम द्वीपों में छोटे चट्टानों और सैंडबार बनाए हैं. इससे अन्य दावेदारों से आक्रोश पैदा हो गया है.

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