सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जोशीमठ में भू-धंसाव का मामला, याचिका दाखिल, सोमवार को हो सकती है सुनवाई

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ABC News: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शनिवार (07 जनवरी) को इस मामले में अपने वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है. कोर्ट से इस मामले में सोमवार (09 जनवरी) को अर्जेंट सुनवाई की अपील की है.

यह जानकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के मीडिया प्रभारी डॉक्टर शैलेन्द्र योगी उर्फ योगीराज सरकार ने दी है. याचिका में ऐसी स्थिति बने रहने पर नरसिंह मंदिर, आदि शंकराचार्य से जुड़ी प्राचीन जगहों के नष्ट होने का भी अंदेशा जताया गया है. याचिका में प्रभावित लोगों को सहायता देने, उनकी संपत्ति का बीमा करवाने की मांग की गई है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के वकील पीएन मिश्रा ने बताया, “याचिका में तपोवन-विष्णुगाड विद्युत परियोजना के तहत बनाई जा रही सुरंग का मसला प्रमुखता से उठाया गया है. इसी सुरंग को वर्तमान स्थिति के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है. याचिका में विद्युत परियोजना समेत दूसरे सभी विकास कार्यों की विशेषज्ञों से समीक्षा करवाने की भी मांग की गई है. यह भी कहा गया है कि भूस्खलन के लिए ज़िम्मेदार कारणों का पता लगाया जाए.” याचिकाकर्ता ने कोर्ट को तस्वीरों के माध्यम से दिखाने की कोशिश की है कि जोशीमठ किस तरह विनाश के मुहाने पर बैठा है. याचिका में बताया गया है कि अभी तक 500 से ज़्यादा मकानों में दरार आ गई है. लगातार कई इलाकों में स्थिति बनती जा रही है. याचिका में केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी , नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन, बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन और चमोली के डीएम को पक्ष बनाया गया है.

 

 

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