ABC News: 2002 गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. बिलकिस ने 13 मई को आए कोर्ट के आदेश पर दोबारा विचार की मांग की है. इसी आदेश के आधार पर बिलकिस से सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषी रिहा हुए थे. मामला आज चीफ जस्टिस के सामने रखा गया. उन्होंने इस पर विचार कर उचित बेंच के सामने लगाने का आश्वासन दिया.
Bilkis Bano approaches Supreme Court, challenging the premature release of 11 convicts, who had gang-raped her & murdered her family members during the 2002 Godhra riots.Bano filed a review plea against the May order of SC which allowed Gujarat govt to apply 1992 Remission Policy pic.twitter.com/JKfXf55gr9
— ANI (@ANI) November 30, 2022
13 मई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच ने एक दोषी राधेश्याम शाह की याचिका पर फैसला देते हुए कहा था कि उसे सज़ा 2008 में मिली थी. इसलिए, रिहाई के लिए 2014 में गुजरात में बने कड़े नियम लागू नहीं होंगे बल्कि 1992 के नियम लागू होंगे. गुजरात सरकार ने 15 अगस्त को इसी आधार पर 14 साल की सज़ा काट चुके 11 लोगों को रिहा किया था. 1992 के नियमों में उम्र कैद की सज़ा पाए कैदियों की 14 साल बाद रिहाई की बात कही गई थी, जबकि 2014 में लागू नए नियमों में जघन्य अपराध के दोषियों को इस छूट से वंचित किया गया है. बिलकिस बानो की तरफ से दाखिल पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला, तो नियम भी वहां के लागू होने चाहिए, गुजरात के नहीं. अभी तक सुभाषिनी अली, रूपरेखा वर्मा महुआ मोइत्रा समेत कई नेता और सामाजिक कार्यकर्ता रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. इन्होंने गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती दी थी. इन याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. अब खुद बिलकिस बानो कोर्ट आई हैं और उन्होंने 13 मई को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वापस लेने की मांग की है.