ऋषिकेश में गंगा के ऊपर बन रहा है बजरंग सेतु, होगा देश का पहला कांच का पुल

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ABC News: उत्तराखंड का ऋषिकेश हर किसी की पसंदीदा जगहों में से एक है. ऋषिकेश में आपको एडवेंचर करने के लिए कई सारी एक्टिविटी भी मिल जाएंगी, तो वहीं भगवान के उपासकों के लिए ये बेस्ट जगह है. ऋषिकेश में कई विख्यात मंदिर हैं. इन सब में अगर ऋषिकेश में कुछ सबसे ज्यादा लोकप्रिय है तो, वो हैं लक्ष्मण और राम झूला.

ऋषिकेश के दो किनारों को जोड़ते दो पुल है. एक का नाम लक्ष्मण झूला, तो दूसरे का नाम है राम झूला. पर्यटकों एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए इन पुलों का इस्तेमाल करते हैं. भले ही आप सोच रहे हों कि ये पुल कोई आम पुल हैं, लेकिन इसकी खासियत और इतिहास आपकी इस सोच को बदल देगा. लक्ष्मण झूला को इन दिनों बंद कर दिया गया है. पुल में आई दरारों ओर टूटती रस्सियों की वजह से इसे फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया और इसकी जगह पर कांच का नया पुल बनाया जा रहा है. ये पुल भारत का पहला ग्लास ब्रिज यानी कांच का पुल होगा. इस कांच के पुल का नाम बजरंग सेतु होगा.

लक्ष्मण झूले का इतिहास
94 साल पुराना लक्ष्मण झूला अब भले ही लोगों के आने-जाने के लिए बंद कर दिया गया हो, लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है. इसका निर्माण अंग्रेजों के जमाने में हुआ था. लक्ष्मण झूला 1929 में बनकर तैयार हो गया था. 1923 में इस पुल की नींव ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान पड़ी थी, लेकिन तेज बाढ़ के चलते साल 1924 में इसकी नींव ढह गई थी. इसके बाद एक बार फिर से इस पुल की नींव 1927 में रखी गई थी और 1929 में बनकर ये पुल तैयार हो गया था. यह पुल 11 अप्रैल 1930 को लोगों के लिए खोल दिया गया. खास बात ये है कि पहले इस पुल का निर्माण जूट की रस्सी से हुआ था. बाद में इसे कंक्रीट और लोहे की तारों से मजबूत बना दिया गया. ये पुल दो महत्वपूर्ण गांवों – एक टिहरी गढ़वाल जिले में तपोवन और पौड़ी गढ़वाल जिले के जोंक को आपस में जोड़ता है. वैसे तो इस झूले का नाम सुनकर ही आपको भगवान राम के भाई लक्ष्मण की याद आ जाती होगी. आपकी याद और इस पुल के इतिहास का तालमेल बिल्कुल ठीक बैठता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि एक समय में, भगवान राम के भाई लक्ष्मण जी ने उसी जगह पर गंगा नदी पार की थी, जहां पुल का निर्माण किया गया है. मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मण जी ने मात्र दो रस्सियों के सहारे नदी को पार किया था. बाद में इस रस्सी की जगह नदी पार करने के लिए पुल का निर्माण कराया गया और इसका नाम पड़ा लक्ष्मण झूला.


जूट से लेकर कांच तक के पुल का सफर
लक्ष्मण झूला दो किनारों के बीच का सेतु था. पर्यटकों के लिए तो ये बहुत ज्यादा लाभदायक था. खैर इस पुल पर जब आप गए होंगे तो ये झूलता हुआ पुल तारों का बन गया होगा, लेकिन सबसे पहले ये जूट की रस्सी से बना था. गंगा नदी के ऊपर बना यह पुल 450 फीट लंबा झूलता हुआ पुल है. शुरू में जूट के रस्सों से बना था, लेकिन बाद में इसे लोहे की तारों से मजबूत बनाया गया. इस पर खड़े होकर आपको दूर तक मां गंगा का कलकलाता जल दिखाई देगा. अब इस पुल की जगह कांच के पुल का निर्माण हो रहा है. नई तकनीकी से लैस ये बनने वाला पुल और भी ज्यादा आकर्षक होगा.

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