ABC NEWS: गंगोत्री-युमनोत्री, और केदारनाथ के बाद अब बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं. बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. कपाट खोलने को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर लीं गईं हैं. दिल्ली-एनसीआर, गुजरात, एमपी, एमपी सहित देश-विदेश से भारी संख्या में तीर्थ यात्री धाम पहुंच चुके हैं. बदरीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चार, परम्पराओं और मान्यताओं के साथ श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे.
भगवान के दर्शनार्थ कपाट प्रातः 7.10 पर खोल दिये जायेंगे. भगवान बदरी विशाल के दर्शनार्थ मंदिर के विराट सिंहद्वार को करीब-करीब 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. हजारों की फूलों की सजावट को देख तीर्थ यात्री भी मंत्रमुग्ध हो रहे हैं. बदरीनाथ में भगवान श्री हरि नारायण का विग्रह पद्मासन रूप में है. भगवान यहां पद्मासन में ध्यानस्थ हैं. बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल बताते हैं कि भगवान बदरी विशाल को विभिन्न युगों में अलग-अलग रूप में जाना गया है.
मानव ही नहीं देवता भी जीवन में भगवान बदरी विशाल के दर्शन को सौभाग्य समझते हैं. बदरीनाथ के कपाट खुलने पर योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर से भगवान श्रीकृष्ण स्वरूप में उनके बाल सखा उद्धव जी और कुबेर मंदिर से कुबेर जी का विग्रह और बोली और जोशीमठ से आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ पहुंचीं. बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह जिसे बदरीश पंचायत कहते हैं कपाट खुलने पर भगवान के सानिध्य में उद्धव जी विराजमान होंगे.
बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि यहां पर लौकिक संसार की मान्यता और परम्पराओं का मान सम्मान और मान्यताओं का निर्वहन होता है. कपाट बंद होने पर लक्ष्मी जी को भगवान बदरी विशाल के सानिध्य में रखा जाता है और कपाट खुलने पर उनके विग्रह को लक्ष्मी मंदिर में ले जाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण रूप में उद्धव जी भगवान के बाद सखा पर उम्र में बड़े हैं.
इसलिए वे लक्ष्मी जी के भी जेठ हुए। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जेठ के सामने बहू पति के सानिध्य में नहीं रहती. इसलिए कपाट खुलने पर पहले लक्ष्मी जी का विग्रह बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह से लक्ष्मी मंदिर में लाया जायेगा. और तब उद्धव जी का विग्रह भगवान के सानिध्य में रखा जायेगा. साथ ही धन और ऐश्वर्य के देवता कुबेर जी के स्वर्ण विग्रह के रुप में कुबेर भी भगवान के सानिध्य में विराजमान होंगे.
भगवान का होता है जलाभिषेक
बदरीनाथ में भगवान के कपाट खुलने पर सबसे पहले कपाट बंद होने पर शीतकाल में जिस घृत कम्बल को भगवान बदरी विशाल को ओढ़ाया जाता है उस घृत कम्बल को मंत्रोच्चार के साथ निकाल पर भगवान का जलाभिषेक होता है. और घृत कम्बल के रेशे रेशे को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल बताते हैं घृत कम्बल का यह प्रसाद ईश्वरीय प्रसाद माना जाता है .
देवताओं की डोली समेत हजारों श्रद्धालु पहुंचे धाम
बदरीनाथ धाम में बुधवार को जब उद्धव जी, कुबेर जी, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज, धर्माधिकारी , संत महात्मा और हजारों श्रद्धालु बदरीनाथ पहुंचे तो जो पूरी बदरी पुरी बोल बदरी विशाल लाल की जय से गूंज उठी. गुरुवार को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने को लेकर सभी में उत्साह है.
देश दुनिया से हजारों की संख्या में श्रद्धालु और यात्री बदरीनाथ पहुंचे हैं. पश्चिम बंगाल से आये आशुतोष बनर्जी , केरल से आईं प्रियम्बदा , निर्मला देवरुपा , मथुरा से आये अजय तिवारी समेत हजारों भक्त कहते हैं कि जीवन में बदरी विशाल के दर्शन के करना सबसे बड़ा सौभाग्य है. भगवान बदरी विशाल के कपाटोद्घाटन के क्षण पर भगवान की एक झलक देखने के लिये दिल्ली से आये 80 वर्षीय बुजुर्ग सेवाराम कहते हैं कि भगवान बदरी विशाल की आज्ञा जब होती है तभी उनके दर्शन होते हैं.
सीसीटीवी कैमरों से होगी निगरानी
बद्रीनाथ हाइवे पर संवेदनशील स्पॉट और संकरे मार्ग बाजपुर चमोली चाडा़, बिरही चाड़ा, हेलंग, बल दौड़ा, लामबगड़ में आवश्यकता पड़ने पर एकल मार्ग की व्यवस्था की जायेगी. पुलिस अधीक्षक ने कहा विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गए हैं. यात्रियों को सहायता के लिए जानकारी हेतु पीए सिस्टम लगाए गए हैं.