महापौर की टिकट पर घमासान: पचौरी बैकफुट पर, प्रमिला की उम्मीदवारी से साधे कई निशाने

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ABC NEWS: ( भूपेंद्र तिवारी ) कानपुर में महापौर पद को लेकर भाजपा में शुरू हुई अंदरुरनी कलह अब सतह पर आने लगी है. भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी जहां इसके खिलाफ खुलकर बोलने लगे हैं. उन्होंने कहा कि प्रमिला पांडेय को टिकट देना संघ का अपमान किया जाना है. उन्होंने ये भी कहा कि वे हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे हैं और आगे भी रहेंगे.

लोकसभा से जोड़कर देखा जा रहा टिकट

टिकट की इस लड़ाई को आगामी लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. कानपुर में भाजपा से अभी तक सांसद सत्यदेव पचौरी के अलावा कोई प्रबल दावेदार नहीं है. वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा तेज हो चली है कि लोकसभा चुनाव में सतीश महाना को पार्टी चुनाव लड़ा सकती है. प्रमिला पांडेय की टिकट से उनका कद भी बढ़ा है.

अब बात दिल्ली में हुई टिकट को लेकर बैठक की…

महापौर का टिकट पाने की दौड़ में नीतू सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा था. ये नाम संघ की तरफ से बढ़ाया गया था. नीतू सिंह कानपुर से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी की बेटी और क्षेत्र संघचालक वीरेंद्र जीत सिंह की बहू हैं. वीरेंद्र जीत सिंह का संघ में बड़ा कद है. ऐसे में उनका टिकट की रेस में नाम सबसे आगे चल रहा था.

राष्ट्रीय इकाई ने नीतू सिंह के नाम पर मुहर भी लगा दी थी. लेकिन सूत्रों के मुताबिक सतीश महाना ने पेंच फंसा दिया. खींचतान बढ़ी तो टिकट को लेकर रिपोर्ट दिल्ली तलब कर ली गई. बीती शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌ढा के साथ बैठक हुई.

लग चुकी थी नीतू सिंह के नाम पर मुहर
बताया जा रहा है कि टिकट फाइनल होने के दो दिन पहले तक नीतू सिंह का नाम प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय इकाई तक तय कर दिया गया था. जब टिकट को लेकर खींचतान बढ़ी तो फिर से पूरे समीकरण को लेकर पार्टी में मंथन किया गया. यह कहा जाने लगा कि इस बार कांग्रेस के बजाय सपा की ओर से उतारे गए ब्राह्मण प्रत्याशी की वजह से परिस्थितियां बदली हुईं हैं. सपा प्रत्याशी दरअसल पार्टी के ही विधायक अमिताभ बाजपेई की पत्नी हैं.

खुफिया रिपोर्ट भी की गई दरकिनार
अमिताभ विधानसभा चुनाव 2017 और 2022 में सपा के टिकट से भाजपा को हराकर विधायक बने हैं. खुफिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नगर निगम क्षेत्र में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें तीन में सपा के विधायकों का दबदबा है, इस वजह से भी महापौर का चुनाव टक्कर वाला हो सकता है. इसे देखते हुए ऐसे चेहरे को उतारा जाए, जिसे लेकर पार्टी में आम सहमति बनाई जा सके। कहा जा रहा है कि क्योंकि प्रमिला एक बार पार्टी के टिकट से जीत चुकी हैं, ऐसे में उनको दोबारा मौका मिल गया.

महाना ने गिनाए थे जीत के समीकरण
बैठक में पदाधिकारियों ने पूरी रिपोर्ट रखी। प्रमिला के खिलाफ एलआईयू की रिपोर्ट को भी आधार बनाया गया. किसी भी विरोध से बचने के लिए करीब 1 घंटे तक प्रदेश उपाध्यक्ष कमलावती सिंह के नाम पर भी चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भी प्रमिला की जीत को लेकर सारे समीकरण राष्ट्रीय नेतृत्व को गिना डाले. सभी को संतुष्ट करने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रमिला पांडेय को टिकट थमा दी. लेकिन ये दांव भी उल्टा पड़ गया और पार्टी में विरोध शुरू हो गया है.

पचौरी बोले ये जनता के खिलाफ जाएगा
सांसद सत्यदेव पचौरी ने कहा कि वह महापौर प्रत्याशी के टिकट को लेकर पार्टी के निर्णय से खुश नहीं हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि यह फैसला महानगर की जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है. सांसद पचौरी यहीं पर नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी अपमान हुआ है.

नामांकन जुलूस में भी नहीं हुए शामिल
सांसद ने प्रमिला पांडेय के नामांकन जुलूस से भी दूरियां बनाकर रखीं. इसे लेकर भी नामांकन के दौरान और उसके बाद राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा रही. पार्टी प्रत्याशी के नामांकन जुलूस में मौजूद नहीं रहने की बात पर सांसद ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई. इस वजह से वे जुलूस में शामिल नहीं हुए. पार्टी के फैसले से नाखुश सांसद पचौरी ने यह भी कहा कि वे भ्रष्टाचार के हमेशा खिलाफ रहे हैं, आगे भी रहेंगे.

सतीश महाना का बढ़ा कद
प्रमिला पांडेय को भाजपा से दोबारा प्रत्याशी बनाए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का सबसे बड़ा रोल माना जा रहा है. महापौर के टिकट में अचानक हुए फेरबदल में महाना की भूमिका भी बताई जा रही है. 2017 में भी जब पहली बार प्रमिला को टिकट मिला था, तब भी इसी तरह सतीश महाना का नाम सामने आया था. ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा में महाना का कद और बढ़ा है.

जीताने के लिए महाना ने झोंकी ताकत
पार्टी सूत्रों के मुताबिक सतीश महाना ने प्रमिला पांडेय की जीत को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है.नामांकन जुलूस का भी उन्होंने खुद ही नेतृत्व किया था. जुलूस में भीड़ बुलाने की जिम्मेदारी भी उनके खास लोगों ने ही उठाई थी. वहीं महाना अंदरखाने चुनाव की कमान संभाल रहे हैं.

महाना की सांसदी लड़ने को लेकर भी चर्चा
महापौर की टिकट कराने में सतीश महाना अहम किरदार माने जा रहे हैं. वहीं इस टिकट के होने से सांसद पचौरी पूरी तरह बैकफुट पर आ गए हैं. इससे लोग चर्चा करने लगे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में सतीश महाना सांसदी के प्रबल दावेदार हो सकते हैं.

सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी की पुरानी अदावत
सतीश महाना और सांसद सत्यदेव पचौरी एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं. बीते साल विकास भवन में सतीश महाना की बैठक को लेकर सांसद ने खुलकर विरोध किया था और बैठक को कैंसिल करने की मांग तक कर डाली थी. हालांकि बैठक हुई लेकिन सांसद नहीं पहुंचे थे. इससे पहले भी कई बार दोनों एक-दूसरे के सामने आ चुके हैं.

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