ABC News: श्री करौली शंकर महादेव धाम में चैत्र मास की पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित उत्सव में भक्तों ने दीक्षा ग्रहण करने के साथ यज्ञ में आहुति दी और सुखी जीवन के सूत्र को समझा. इस दौरान मंत्र और तंत्र दीक्षा का आयोजन किया गया, जहां पर देश के विभिन्न हिस्सों के साथ बड़ी संख्या में नेपाल से भी सैकड़ों भक्त आए.
नेपाल से गुरू दीक्षा लेने आए भक्तों को श्री करौली शंकर महादेव जी विशेष रूप से दरबार में बुलाया और सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया. इसके बाद गुरू जी ने बताया की नेपाल वासियों के आग्रह पर काठमांडू में भी मां-बाबा का धाम जल्द ही बनवाने का कार्य शुरू किया जाएगा. जिसका रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है. नेपाल आने पर श्री करौली शंकर महादेव ने बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन करने की भी बात कही. नेपाल से आए भक्तों ने करौली शंकर महादेव जी, मां बाबा, मां कामाख्या और भोलेनाथ के जयघोष भी किया.
कार्यक्रम में श्री करौली शंकर महादेव ने कहा कि शास्त्र कहते हैं कि मनुष्य के जीवन में तीन ऋण मुख्य होते हैं, ‘देव ऋण’, ‘ऋषि ऋण’, और ‘पितृ ऋण’. इनमें से देव ऋण यज्ञादि द्वारा, ऋषि ऋण स्वाध्याय और पितृ ऋण को श्राद्ध द्वारा उतारा जाता है. इस ऋण का उतारा जाना जरूरी होता है. जब हमारे पूर्वजों की आत्मा शांत होगी तो हमें भी सुख- समृद्धि की प्राप्ति होगी.
इस दौरान उन्होंने बताया कि पंच महाभूत अर्थात तत्व साधना तर्पण, अन्नदान, यज्ञ प्राणायाम और ध्यान करने से देव ऋण से मुक्ति मिलती है. दीक्षा कार्यक्रम में नेपाल से आए भक्तों श्री करौली शंकर महादेव को माला पहना कर, पुष्प और जल अर्पित चरण वंदना की और वस्त्र अर्पित किये.
गौरतलब हो कि कानपुर शहर में स्थित लव-कुश पूर्वज मुक्ति धाम, सनातन धर्म के वैदिक ईश्वरीय चिकित्सा के द्वारा, धीरे-धीरे भारत देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ रहा है, जिसमें कई पड़ोसी देश भी शामिल है.