Kanpur: आधी रात तक चली मंत्रणा, प्रकाश शर्मा ने नामांकन से पीछे खींचे पैर, उठाए ऐसे सवाल

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ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रकाश शर्मा के एक पत्र ने जो सियासी चक्रवात खड़ा किया था, वह नामांकन के आखिरी दिन ठंडा पड़ गया है. 19 अप्रैल से शुरू हुए इस सियासी चक्रवात ने बुधवार को उस समय और रफ्तार पकड़ी, जब प्रकाश शर्मा ने नामांकन फॉर्म तक खरीद लिया.कयास इस बात के थे कि प्रकाश शर्मा आखिरी दिन नामांकन दाखिल करेंगे लेकिन इस सियासी चक्रवात के नुकसान भांपकर संघ से लेकर भाजपा का आलाकमान सक्रिय हुआ, सक्रियता में वह लोग भी आए जो प्रकाश शर्मा के बजरंग दल के समय से साथी रहे हैं. इसके बाद प्रकाश शर्मा ने अपने विश्वस्त चेहरों के साथ बैठक की और तय हुआ कि वह अब नामांकन नहीं कराएंगे. नामांकन कराने से पैर पीछे खींचने वाले प्रकाश शर्मा ने हालांकि कार्यकर्ताओं के कई मनोभाव उठाकर पार्टी के सामने कई ज्वलंत सवाल खड़े कर दिए हैं.

दरअसल, बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक और वर्तमान में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रकाश शर्मा ने बुधवार को जब नामांकन फॉर्म खरीदा तो अचानक से पार्टी के अंदर हलचल तेज हो गई. प्रकाश शर्मा को समझाने में संघ से लेकर भाजपा के नेता लग गए. देर रात तक प्रकाश शर्मा के साथ संघ के प्रांत प्रचारक श्री राम, प्रांत संघ चालक भवानी भीख, भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, दक्षिण जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह के बीच लंबी बैठक चली. इस बीच प्रकाश शर्मा के पास भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह का भी फोन आया. प्रकाश शर्मा का कहना है कि उनके पास सीएम योगी का भी संदेश पहुंचा. प्रदेश अध्यक्ष ने जल्द इस मुद्दे पर बात करने का वादा किया है. इसके अलावा भाजपा नेता विनय कटियार, चंपत राय, रामाशीष जी समेत अन्य लोग भी सक्रिय हुए और प्रकाश शर्मा से लगातार बातचीत करते रहे. इसके बाद गुरूवार दोपहर को प्रकाश शर्मा ने अपने विश्वस्त चेहरों के साथ बैठक की, जिसमें निर्णय हुआ कि अब प्रकाश शर्मा अपना नामांकन फॉर्म दाखिल नहीं करेंगे. इसी के साथ वह सियासी चक्रवात भी थम गया, जो कम से कम भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता था.

कार्यकर्ता की चिंता कैसे होगी
पत्रकारों से बातचीत में भाजपा नेता प्रकाश शर्मा ने कार्यकर्ताओं के मन की बात भी रखी. उन्होंने कहा कि पहले कार्यकर्ता की चिंता होती थी. अगर कोई पार्टी का कार्यकर्ता होता है और फिर इस तरह से हो जाता है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसी ही परिस्थिति रही तो कार्यकर्ता भी सोचेगा कि वह फिल्म लाइन में सक्रिय होकर कभी भी राजनीति में लॉन्च हो जाए, लेनदेन के व्यापार में लग जाए या रिु बड़ा क्रिकेटर बनकर फिर राजनीति में लॉन्च हो जाए. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी भी पहले चाय की दुकान चलाते थे और कार्यकर्ता से पीएम का सफर तय किया है, जो सिर्फ भाजपा में ही हो सकता है, लेकिन आज कार्यकर्ता के मन में चिंता है कि वह कार्यकर्ता बनने के ​बाद उसका क्या होगा. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता बस यह जानना चाहता है कि प्रत्याशी चयन का मानक क्या है. टिकट वितरण को अनियमितता को लेकर जब सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि यह किसी प्रकार की भी हो सकती है.

कार्यकर्ता पर विश्वास होना चाहिए
इस दौरान उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल को गृहमंत्री अमित शाह कानपुर आ रहे हैं. अगर वह बुलाते हैं तो उनके सामने भी वह अपनी बात रखेंगे. उन्होंने कहा कि अमित शाह को कार्यकर्ता पर विश्वास होना चाहिए कि वह पार्टी के खिलाफ कोई काम नहीं करेगा. इस दौरान उन्होंने खुद पर किसी तरह का दबाव न होने की बात कही और साथ में पार्टी पर भी किसी तरह का दबाव न बनाने की बात कही. प्रकाश शर्मा ने कहा कि उन्हें किसी प्रकार के पद का लालच नहीं है. दस साल बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक रहे हैं. 2005 में उन्होंने पुंछ में यात्रा निकाली थी.

रमेश अवस्थी ने नहीं है व्यक्तिगत लड़ाई
इस दौरान प्रकाश शर्मा ने कहा कि उनकी रमेश अवस्थी से व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. रमेश अवस्थी टिकट मांग रहे थे और उन्हें टिकट मिला है. रमेश अवस्थी के बयान पर भी उन्होंने किसी तरह की टिप्पणी न करने की बात कही. उन्होंने कहा कि वह भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं और भाजपा के लिए काम करेंगे. इस दौरान चार जून-400 पार की भी बात उन्होंने कही.

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