ABC News: रावतपुर थाना क्षेत्र के कृष्णापुरी में आयकर विभाग कर्मी विमलेश गौतम की मौत के बाद 17 माह तक शव घर पर रखने के मामले में बुधवार को एडिशनल डीसीपी पश्चिम ने परिवार वालों से 40 मिनट तक पूछताछ की. उन्होंने इतने दिन तक घर में शव कैसे रखने और आयकर विभाग से वेतन आदि के बारे में सवाल किए, जिसका घरवालों ने जवाब दिया. अबतक की पूछताछ में परिजनों का भावनात्मक जुड़ाव होना मान रही है और अब मनोचिकित्सक से बात कराने के बाद आगे की कार्रवाई करने की बात कह रही है.
जांच कमेटी बुधवार को आयकर अफसर के घर पहुंची. एडीसीपी लाखन सिंह यादव ने पिता रामअवतार, पत्नी मिताली, मां रामदुलारी और दोनों भाई सुनील व दिनेश से करीब डेढ़ घंटे तक पूछताछ की. पूछताछ और जांच के दौरान शव को सुरक्षित करने के लिए किसी भी तरह का केमिकल नहीं लगाने की पुष्टि हुई है. उन्होंने घरवालों से इतने दिन तक शव को कैसे सुरक्षित रखा, किस डॉक्टर को घर बुलाते रहे और आयकर विभाग से वेतन को लेकर सवाल किए. परिजनों ने शव पर किसी भी तरह का लेप लगाने से इंकार किया है. परिजनों का कहना था कि वह लोग प्रतिदिन विमलेश के शरीर की सफाई करते थे और डेटाल डालकर पानी से पोछते थे. अप्रैल 2021 से अब तक कोई वेतन उनके खाते से आहरित न होने की भी बात सामने आई. एडिशनल डीसीपी पश्चिम लखन यादव ने बताया संबंधित विभागों से पत्राचार करके और जानकारियां जुटाई जा रही हैं.
मनोचिकित्सक से भी बात करने के बाद कारवाई को आगे बढ़ाया जाएगा. प्राथमिक जांच में यही सामने आया है कि परिजनों ने किसी साजिश के तहत शव को संरक्षित नहीं किया था. परिजनों का भावनात्मक लगाव इतना था कि वह मृत्यु को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. अब तक की जांच पड़ताल में किसी तरह का कोई अपराध सामने नहीं आया है. परिवार के लोगों की जल्द ही काउंसिलिंग भी कराई जाएगी. इससे यह साफ हो सके कि परिवार को कोई सदस्य मानसिक बीमार तो नहीं है. एडीसीपी ने जांच के बाद यह भी साफ कर दिया कि पति का शव मिलने के बाद चर्चा थी पत्नी ने छह महीने की छुट्टी लेकर सेवा की थी. उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं था. आयकर अफसर की मौत से पहले पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया था. इसके चलते छह महीने की मेटरनिटी लीव पर थीं.