ABC News: शहर ही नहीं देश में चर्चा का विषय बना 17 महीने तक घर में लाश रखने के मामले में अभी भी कई सवालों के जवाब अनसुलझे हैं. इन सबके बीच पूरा परिवार और पत्नी भी सवालों के घेरे में हैं.आयकर विभाग द्वारा सीएमओ को भेजे गए लेटर पर हुई जांच से भंडाफोड़ हो गया. सीएमओ से विमलेश के जीवित होने या नहीं का सवाल आयकर विभाग ने एक लेटर मिलने के बाद किया, आखिर ये लेटर किसने भेजा और क्या उसे विमलेश की मौत का सच पता चल गया था.
हैदराबाद में आयकर विभाग में तैनात रहे 35 वर्षीय विमलेश गौतम का परिवार कानपुर में रावतपुर के कृष्णापुरी मोहल्ले में रहता है. उनके परिवार में पत्नी मिताली, पांच साल का बेटा व डेढ़ साल की बेटी है, वहीं मां रामदुलारी और पिता रामऔतार गौतम साथ रहते हैं. तीन मंजिला घर में भाई सुनील गौतम और दिनेश गौतम भी परिवार के साथ रहते हैं. किदवई नगर में रहने वाली मिताली को विमलेश ट्यूशन पढ़ाने जाते थे और दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे. दोनों ने परिवार से बगावत करके शादी कर ली और कुछ वर्षों बाद दोनों को परिवार ने अपना लिया. मिताली कानपुर में कोऑपरेटिव बैंक में डिप्टी मैनेजर की नौकरी करती रही और पति विमलेश हैदराबाद में आयकर विभाग में तैनात थे. वर्ष 2019 में बीमार होने पर अवकाश पर घर आए विमलेश की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई और अस्पताल ने डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया. परिवार के लोग शव घर ले आए और जिंदा होने के शक में ईसीजी कराया. धड़कन होने की रिपोर्ट देखकर घरवालों ने विमलेश का जिंदा और कोमा में होना मानकर शव घर में रखकर उपचार कराना शुरू कर दिया. विमलेश से बेइंतहा प्यार करने वाली पत्नी मिताली भी परिवारवालों की बात पर भरोसा कर बैठी और बैंक से अवकाश लेकर छह माह तक पति की सेवा करती रही. घर वालों को बुलाने पर विमलेश के शव को देखने के लिए एक डाक्टर आता रहा. इतना ही उसके इलाज में परिवारवालों ने 35 लाख रुपये तक खर्च किए. शुरुआती छह माह तक ऑक्सीजन भी विमलेश को दी जाती रही और रोजाना ऑक्सीजन सिलेंडर घर पर लाए जाते रहे. परिवारवालों पर भरोसा करते हुए मिताली भी पति के कपड़े बदलने से लेकर बिस्तर बदलती रही. छह माह बाद जब विमलेश का आक्सीजन सपोर्ट हटा दिया गया तो मिताली कुछ समझ नहीं पाई. मां, पिता व भाई लगातार विमलेश के शव की देखभाल में जुटे रहे लेकिन शायद मिताली के दिमाग कुछ चलता रहा. मिताली ने वापस बैंक की ड्यूटी ज्वाइन कर ली और रोजाना सुबह बैंक जाने के बाद शाम को घर लौटने पर विमलेश के शव के पास बैठने से लेकर देखभाल करती रही. इस बीच आयकर विभाग से हैदराबाद से घर पर विमलेश को लेकर पूछताछ वाले लेटर आना शुरू हुए. अब शायद मिताली जवाब देने को लेकर संशय में आ गई थी. घरवाले लगातार विमलेश के शव की देखभाल कर रहे थे लेकिन शायद मिताली का दिमाग कहीं और ही जा रहा था. विमलेश को लेकर मिताली ने एक लेटर हैदराबाद आयकर विभाग को भेजा था, जिसमें पति का परीक्षण कराने की मांग थी. इस पत्र के आधार पर आयकर विभाग ने सीएमओ को पत्र भेजकर विमलेश के जीवित होने या न होने का प्रश्न किया. इसपर सीएमओ ने बीते शुक्रवार को स्वास्थ्य टीम को भेजा तो 17 माह तक विमलेश का शव घर पर रखे जाने का भंडाफोड़ हुआ. इससे एक सवाल उठता है कि क्या मिताली को पति विमलेश की मौत का सच पता था. क्योंकि अभी तक मिताली ने मीडिया के सामने भी कुछ भी नहीं बोला या बताया है. सीएमओ डॉ. आलोक रंजन कहते हैं कि हैदराबाद से आयकर विभाग ने पत्र भेजकर पूछा था कि विमलेश कुमार जीवित हैं या नहीं. विमलेश की मौत 22 अप्रैल, 2021 की भोर चार बजे हुई थी और अस्पताल से डेथ सर्टिफिकेट भी जारी किया गया था. इस बाबत रिपोर्ट आयकर विभाग को भेज दी गई है. पुराने मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर नगर निगम को मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए गए हैं.