आज नवरात्र के चौथे दिन बने 5 शुभ योग: मां कूष्मांडा की करें पूजा, जानें मुहूर्त, मंत्र, पूजन विधि और महत्व

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ABC NEWS: शारदीय नवरात्र का चौथा दिन आज 18 अक्टूबर दिन बुधवार को है. इस दिन र​वि, सर्वार्थ सिद्धि समेत 5 शुभ योग बने हैं. इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा करते हैं. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के देवी कूष्मांडा की पूजा होती है. मां कूष्मांडा अपने भक्तों के संकटों, कष्टों और दुखों को दूर करके सुखी जीवन प्रदान करती हैं. इनकी पूजा करने से यश और आयु में वृद्धि होती है. इस सृष्टि के निर्माण की संपूर्ण शक्ति इस देवी में समाहित है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि कुम्हड़ा को संस्कृत में कूष्मांड कहते हैं. इसमें काफी संख्या में बीज होते हैं, जो कई जीवन देने में सक्ष्म होते हैं. इस वजह से इस देवी का नाम कूष्मांडा पड़ा. आइए जानते हैं कि मां कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त और शुभ योग के बारे में.

5 शुभ योग में होगी मां कूष्मांडा की पूजा
रवि योग: सुबह 06:23 बजे से रात 09:01 बजे तक
आयुष्मान योग: प्रात:काल से लेकर सुबह 08:19 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 06:23 एएम से 09:01 पीएम तक
सौभाग्य योग: सुबह 08:19 बजे से देर रात तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 06:23 बजे से रात 09:01 बजे तक

मां कूष्मांडा का पूजा मुहूर्त
आश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: आज, 01:26 एएम से
आश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन: कल, 01:12 एएम से

मां कूष्मांडा का पूजा मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:

पूजा विधि
सुबह में स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. फिर मां कूष्मांडा की पूजा करें. सबसे पहले मां कूष्मांडा का जल से अभिषेक करें. फिर उनको अक्षत्, लाल फूल जैसे लाल गुलाब, लाल गुड़हल, सिंदूर, धूप, दीप, लाल वस्त्र, नैवेद्य, श्रंगार सामग्री आदि चढ़ाएं. दही और हलवे का भोग लगाएं. मां कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए सफेद कुम्हड़ा अर्पित करें. उनके बीज मंत्र का जाप करें. फिर घी के दीपक या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें. उनके आशीर्वाद से सभी दुख दूर होंगे. आपके मान सम्मान में वृद्धि होगी. आयु भी बढ़ती है.

मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी

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