ABC NEWS: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को कन्नौज लोकसभा सीट के लिये अपना नामांकन दाखिल कर दिया. अखिलेश के नामांकन दाखिल करते ही उनकी भाभी अपर्णा यादव ने उन पर कटाक्ष किया है. अपर्णा यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के लिए कन्नौज सीट अब आसान नहीं है. कुछ साल पहले भाजपा में शामिल हुईं अपर्णा यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव की जगह कन्नौज से अखिलेश यादव की उम्मीदवारी के बारे में बात करते हुए यह टिप्पणी की.
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी ने सोमवार को तेज प्रताप को कन्नौज से अपना उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन बुधवार को उन्होंने अपना फैसला बदल दिया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अपर्णा यादव ने कहा, “अखिलेश यादव अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. मुलायम सिंह को जब भी लगा कि पार्टी को उनकी जरूरत है, तो वह खुद चुनावी मैदान में उतर जाते थे.” हालांकि, उन्होंने अपने जेठ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें चीजों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, “कन्नौज में समाजवादी पार्टी के लिए यह आसान नहीं होगा.”
अपर्णा ने दावा किया कि कन्नौज के मौजूदा सांसद और भाजपा नेता सुब्रत पाठक ने इस निर्वाचन क्षेत्र में बहुत काम किया है, जिससे यह सपा के लिए एक चुनौतीपूर्ण युद्ध का मैदान बन गया है. अपर्णा यादव ने कहा, ”मेरे ससुर मुलायम सिंह के कारण यूपी में बहुत सी सीटें सुरक्षित मानी जाती थीं. उन्होंने अपने प्रयासों और जनता से जुड़ाव से उन सीटों को सपा का गढ़ बना दिया. लेकिन उन सीटों पर भी बीजेपी विजयी रही है.”
कन्नौज से अखिलेश यादव को मैदान में उतारने के सपा के फैसले के बारे में बात करते हुए अपर्णा ने दावा किया कि पार्टी को भाजपा के खिलाफ रक्षात्मक रणनीति अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा, “ये इंडिया गठबंधन के नेता अब डरे हुए हैं. इसलिए अब उनके पास भाजपा से मुकाबला करने के लिए वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. यह पीएम मोदी को हराने की उनकी रणनीति है.” अपर्णा यादव ने यह भी कहा कि बीजेपी का कन्नौज में दबदबा है और मतदाता इतना समझदार है कि वह जानता है कि पीएम मोदी ने बहुत काम किया है. उन्होंने कहा, “पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाएंगे, चाहे मैदान में कोई भी हो.”
अखिलेश यादव पूर्व में तीन बार कन्नौज से ही सांसद रह चुके हैं. वर्ष 2000 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में वह पहली बार सांसद चुने गये थे. उसके बाद वह 2004 और 2009 में भी इसी सीट से सांसद रहे. उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा से इस्तीफा देने के चलते 2012 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल निर्विरोध चुनी गयी थीं.
वर्ष 2014 के आम चुनाव में भी डिंपल ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी. हालांकि साल 2019 के चुनाव में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से पराजित हो गयी थीं. अखिलेश यादव वर्तमान में करहल विधानसभा सीट से विधायक और प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में वह करहल सीट से पहली बार विधायक बने थे. कन्नौज में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत आगामी 13 मई को मतदान होगा.