ABC NEWS: लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद अब राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हैं. एक तरफ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर चुनाव प्रचार की तैयारियां तेज हैं. इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली चुनावी रैली मेरठ में होगी. पीएम मोदी मेरठ में 30 मार्च को बीजेपी उम्मीदवार अरुण गोविल के लिए प्रचार करेंगे. इस दौरान राष्ट्रीय लोकसदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करेंगे.
दरअसल, इस लोकसभा चुनाव में आरएलडी बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. इस गठबंधन में आरएलडी के हिस्से दो लोकसभा सीटें- बिजनौर और बागपत आई हैं. इसके अलावा आरएलडी को एक विधान परिषद सीट भी बीजेपी ने दी है. गठबंधन के बाद अब आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी जहां बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते नजर आएंगे तो वहीं बीजेपी के बड़े नेता आरएलडी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे. इस कड़ी में जयंत चौधरी मेरठ में पीएम मोदी के साथ नजर आने वाले हैं.
बता दें कि देश में सात चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे और 4 जून को मतगणना होगी यानी कि नतीजे आएंगे. 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान, 26 अप्रैल को दूसरे चरण का, 7 मई को तीसरा चरण, 13 मई को चौथा चरण, 20 मई को पांचवां चरण, 25 को मई छठा चरण और 1 जून को सातवां यानि आखिरी चरण का मतदान होगा. मेरठ में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना.
मेरठ लोकसभा क्षेत्र में 19 लाख से अधिक मतदाता
मेरठ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. मेरठ का सर्राफा एशिया का नंबर 1 का व्यवसाय बाजार है. 2011 के आंकड़ों के अनुसार मेरठ की आबादी करीब 35 लाख है, इनमें 65 फीसदी हिंदू, 36 फीसदी मुस्लिम आबादी हैं. मेरठ में कुल वोटरों की संख्या 1964388, इसमें 55.09 फीसदी पुरुष और 44.91 फीसदी महिला वोटर हैं. 2014 में यहां मतदान का प्रतिशत 63.12 फीसदी रहा.
मेरठ लोकसभा के साथ हापुड़ का कुछ क्षेत्र भी जुड़ता है, कुल मिलाकर यहां 5 विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ शहर, मेरठ दक्षिण और हापुड़ की सीट है. 2017 के लोकसभा चुनाव में इनमें मेरठ शहर समाजवादी पार्टी तथा अन्य विधानसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थीं.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का केंद्र और क्रांतिधरा भूमि माने जाने वाली मेरठ लोकसभा सीट राजनीतिक संदेश के हिसाब से अहम सीट मानी जाती है.
मेरठ लोकसभा सीट का इतिहास
1857 में स्वाधीनता संग्राम की नींव रखने वाला शहर मेरठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र माना जाता है. देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस का परचम लहराया था, लेकिन 1967 में सोशलिस्ट पार्टी ने कांग्रेस को मात दी. 1971 में एक बार फिर कांग्रेस ने बाजी मारी, लेकिन उसके अगले चुनाव में इमरजेंसी के खिलाफ चली लहर जनता पार्टी के हक में गई. हालांकि, 1980, 1984 में कांग्रेस की ओर से मोहसिना किदवई और 1989 में जनता पार्टी ने ये सीट जीती थी. 1990 के दौर में देश में चला राम मंदिर आंदोलन का मेरठ में सीधा असर दिखा और इसी के बाद ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन गई.
2019 और 2014 लोकसभा चुनाव का जनादेश
2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने जीत हासिल की, उन्हें 5,86,184 वोट मिले थे. जबकि बसपा के हाजी याक़ूब क़ुरैशी 5,81,455 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस के हरेंद्र अग्रवाल 34,479 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.
वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की आंधी चली थी. इसकी शुरुआत मेरठ से ही हुई थी. मेरठ में भारतीय जनता पार्टी को करीब 48 फीसदी वोट मिले थे. मेरठ में राजेंद्र अग्रवाल ने स्थानीय नेता मोहम्मद शाहिद अखलाक को दो लाख से अधिक वोटों से मात दी थी. इस सीट पर बॉलीवुड अभिनेत्री नगमा कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ी थीं, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.