ABC NEWS: आज 7 जून बुधवार को आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी व्रत है. आज ब्रह्म योग में व्रत रखकर गणेश पूजा की जाएगी और इंद्र योग में चंद्र अर्घ्य दिया जाएगा. गणपति बप्पा की पूजा करने से आपके सभी बिगड़े काम बनेंगे. अशुभ और नकारात्मक प्रभाव खत्म होंगे. जीवन में सुख और शांति के साथ शुभता बढ़ेगी. आज दो सुंदर योग बने हैं. पहला बुधवार के दिन चतुर्थी तिथि है और आज रुद्राभिषेक के लिए शिववास भी है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.
आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त
आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: 06 जून, मंगलवार, देर रात 12 बजकर 50 से
आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का समापन: 07 जून, बुधवार, रात 09 बजकर 50 मिनट पर
ब्रह्म योग: आज सुबह से लेकर रात 10 बजकर 24 मिनट तक, उसके बाद इंद्र योग
संकष्टी चतुर्थी का पूजा मुहूर्त: आज, सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक, उसके बाद सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक.
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय: आज, रात 10 बजकर 50 मिनट से
रुद्राभिषेक का शुभ समय: आज, प्रात: काल से लेकर रात 09 बजकर 50 मिनट तक
संकष्टी चतुर्थी और पूजा विधि
जिन लोगों को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखना है, वे लोग आज सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. उसके बाद हाथ में जल लेकर संकष्टी चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा का संकल्प लें. फिर शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर गणेश जी की स्थापना करें.
उसके बाद गणेश जी को लाल या पीले वस्त्र, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, पुष्प, फल, यज्ञोवपीत, पान, सुपारी, नारियल, हल्दी, दूर्वा की 21 गांठ आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम गं गणपतये नमो नम: या ओम गणेशाय नम: मंत्र का उच्चारण करते रहें. पहला मंत्र मनोकामना पूर्ति का है.
इसके बाद गणपति बप्पा को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. फिर संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण करें. गणेश चालीसा का पाठ करें. घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें. उसके बाद क्षमा प्रार्थना करके मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.
रात को चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करें. चंद्र देव को दूध, सफेद फूल, अक्षत् मिले जल से अर्घ्य दें. फिर रात में या अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.
चंद्र अर्घ्य के बिना अधूरा है व्रत
संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र अर्घ्य के साथ ही पूर्ण होता है. जो लोग गणेश पूजन के बाद रात में चंद्रमा की पूजा नहीं करते और अर्घ्य नहीं देते हैं, उनका व्रत अपूर्ण रहता है.
प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी