ABC News: गैस की कीमतों को लेकर बनाई गई किरीट पारिख कमिटी की सिफारिशों को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने के नए फार्मूले को कैबिनेट ने दी मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले के बाद सीएनजी और पीएनजी जैसे इंधन के दामों में कमी आ सकती है. सरकार साल में दो घरेलू प्राकृतिक गैस के दामों की समीक्षा करती है. लेकिन 1 अप्रैल 2023 को गैस के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया था क्योंकि सरकार को पारिख कमिटी की सिफारिशों पर फैसला लेना था.
किरिट पारिख कमिटी ने केंद्र सरकार से सीएनजी पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी को घटाने की सिफारिश की है. कमिटी ने अपनी सिफारिशों में सरकार से कहा है कि जब तक प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर फैसला नहीं हो जाता है तब तक सरकार को सीएनजी पर एक्साइज ड्यूटी कम वसूलना चाहिए. प्राकृतिक गैस फिलहाल जीएसटी से बाहर है. वहीं पेट्रोलियम पदार्थों पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से लेकर वैट वसूला जाता है. केंद्र सरकार प्राकृतिक गैस पर एक्साइज ड्यूटी नहीं वसूलती है. लेकिन सीएनजी पर 14 फीसदी एक्साइज ड्यूटी वसूला जाता है तो राज्य सरकार 24.5 फीसदी तक वैट लगाती है. किरीट पारिख कमिटी ने सरकार से प्राकृतिक गैस के जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है. कमिटी ने माना कि इसके राज्यों की सहमति होगी. ऐसे में इसे लागू करने के लिए राज्यों को किसी भी होने नुकसान की 5 सालों तक केंद्र को भरपाई करनी चाहिए. एक जुलाई, 2017 को जीएसटी जब लागू हुआ तब पेट्रोल डीजल, एटीएफ को जीएसटी के बाहर रखा गया था. किरीट पारिख कमिटी का मानना है कि जब तक गैस को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जाता है तब तक सरकार के सीएनजी पर एक्साइज ड्यूटी घटा देना चाहिए जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सके. किरीट पारिख कमिटी ने गैस प्राइस पर लगाये जाने वाली सीमा को अगले 3 साल के लिए खत्म किए जाने का भी सुझाव दिया है. साथ ही कमिटी ने देश में पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के प्राइस बैंड को 4 से 6.5 डॉलर प्रति यूनिट तय करने की सिफारिश की है.