ABC News: कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा के प्रति मोदी सरकार जिस तरह से गंभीर है, उसके लिए नीति आयोग की ‘ट्रांसफार्मिंग इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट’ रिपोर्ट रोडमैप का काम कर सकती है. यदि सरकार आयोग के सुझावों पर अमल करती है तो देश में सीबीएसई की तर्ज पर व्यावसायिक शिक्षा के लिए अलग से बोर्ड होगा, वर्तमान और भविष्य की मांग के अनुरूप नए पाठ्यक्रम बनेंगे और जेईई की तरह ही आइटीआइ में भी प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीयकृत व्यवस्था शुरू हो जाएगी. नीति आयोग ने कहा है कि नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (एनसीवीईटी) की भूमिका का विस्तार कर उसे नेशनल बोर्ड फॉर स्किल डेवलपमेंट (एनबीएसडी) के रूप में स्थापित किया जाए.
बोर्ड को परीक्षा कराने और आइटीआइ प्रशिक्षणार्थियों को डिग्री देने का अधिकार मिले और वह डिग्री सीबीएसई द्वारा दिए जाने वाले अकादमिक प्रमाण-पत्रों के समतुल्य माने जाएं. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे व्यावसायिक शिक्षा मुख्य धारा में आएगी और बड़े पैमाने पर युवा इसके प्रति प्रेरित होंगे. सुझाव दिया गया है कि प्रस्तावित एनबीएसडी आइटीआइ और सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी) को जोड़कर परीक्षा, मूल्यांकन और व्यावसायिक शिक्षा में राष्ट्रीय स्तर का प्रमाण-पत्र देने के लिए ‘वन स्टॉप शॉप’ की भूमिका निभा सकता है. इसके माध्यम से नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क को भी पालन कौशल विकास के लिए किया जा सकेगा. इसी तरह प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव पर रिपोर्ट में जोर दिया गया है. नीति आयोग ने कहा है कि अभी सरकारी आइटीआइ में प्रवेश के लिए राज्यों के अपने पोर्टल हैं. आइटीआइ में भी प्रवेश प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के लिए ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीयकृत पोर्टल बनाने की जरूरत है. जेईई और नीट का माडल अपनाया जा सकता है. इसके अलावा आठवीं और दसवीं के अंकों के आधार पर प्रवेश देने से बेहतर होगा कि व्यावसायिक शिक्षा के प्रति अभ्यर्थी का रुझान और कौशल भी परखा जाए. नीति आयोग ने आइटीआइ में वर्षों से चल रहे अप्रासंगिक पाठ्यक्रमों के स्थान पर वर्तमान और भविष्य की जरूरत के अनुसार नए पाठ्यक्रम तैयार करने की पैरवी की है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) को राज्य और जिला स्तर पर कौशल की मांग का आकलन कराना चाहिए. कौशल विकास एवं उद्यमिता के क्षेत्रीय निदेशालय (एसएसडीएम) और जिला कौशल समिति (डीएससी) के साथ समन्वय बनाया जाए. स्थानीय उद्योगों की जरूरत और युवाओं के रुझान की मैपिंग कर कोर्स बनाएं और उसी के अनुसार संबंधित आइटीआइ को अधिक मांग अनुरूप सीटों का आवंटन किया जाना चाहिए.
यह भी महत्वपूर्ण सुझाव
– आइटीआइ का जुड़ाव जिला रोजगार ब्यूरो से हो.
– वहां पंजीकृत औद्योगिक इकाइयों में प्रशिक्षित युवाओं को अप्रेंटिसशिप और रोजगार दिलाया जा सकता है. अभी आइटीआइ को प्रदर्शन के आधार पर स्ट्राइव योजना से संसाधनों के लिए फंड दिया जाता है.
– कई आइटीआइ संसाधनों की कमी के चलते बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे, इसलिए जरूरत के आधार पर बजट देने की व्यवस्था हो.
यूं बढ़ेगा आइटीआइ का स्तर
– कक्षा आठ के साथ दो वर्षीय आइटीआइ प्रमाण पत्र और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) का ब्रिज कोर्स सीबीएसई की कक्षा दस के बराबर माना जाए.
– कक्षा दस के साथ दो वर्षीय आइटीआइ प्रमाण पत्र और एनआइओएस ब्रिज कोर्स को सीबीएसई के कक्षा बारह के बराबर दर्जा मिले.
– आइटीआइ के प्रमाण-पत्र के आधार पर पालिटेक्निक कालेज में प्रवेश दिया जाए.