ABC NEWS: भाद्रपद महीने में कई त्योहार आते हैं. इन त्योहारों में एक जन्माष्टमी (Janmashtami) है. जन्माष्टमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे पवित्र त्योहारों में से एक हैं. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह में ही रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 18 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की विधि विधान से पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के दिन विधि विधान से पूजा करने व व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण उस व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करते हैं. नि:संतान दंपत्ति को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत रखना चाहिए. आइए जानते हैं दिल्ली के रहने वाले पंडित इंद्रमणि घनस्याल से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त व पूजा विधि के बारे में…
जानिए शुभ मुहूर्त
– हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022, गुरुवार के दिन धूमधाम से मनाई जाएगी.
– जन्माष्टमी पर अभिजीत मुहूर्त 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.
– वृद्धि योग 17 अगस्त को दोपहर 08 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
– धुव्र योग 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 08 बजकर 59 मिनट तक रहेगा.
– व्रत पारण का समय 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद होगा.
नि:संतान दंपत्ति रखें यह व्रत
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि जन्माष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में सबसे पवित्र व्रत होता है. यह व्रत खासकर वे महिलाएं जरूर रखें, जो नि:संतान हैं. जन्माष्टमी का व्रत रखने से नि:संतान महिला को संतान की प्राप्ति होती है.
पूजा विधि
इस व्रत को रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन कर मंदिर में दीप जलाएं. इसके बाद सभी देवी देवताओं का जलाभिषेक करें. इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है. लड्डू गोपाल को झूले में बैठाकर दूध से इनका जलाभिषेक करें.
फिर लड्डू गोपाल को भोग लगाएं. इस दिन यह सारी पूजा विधि विधान से रात्रि के समय करें क्योंकि इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को खीर का भोग जरूर लगाएं.