ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) नवंबर में ट्रायल रन के लिए हो रही तैयारियों के बीच कानपुर में चलने वाली मेट्रो गुजरात से निकल चुकी है. सीएम योगी के अनावरण के बाद कानपुर मेट्रो का फस्र्ट लुक भी सामने आया है. यूपीएमआरसी का कहना है कि कानपुर मेट्रो पूरी तरह से मेक इन इंडिया की अवधारणा पर आधारित है.
इस दौरान यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी कुमार केशव मौके पर मौजूद रहे. कानपुर मेट्रो को गुजरात के सावली में तैयार किया गया है. यूपीएमआरसी एमडी ने कहा कि समय की बचत के लिए यूपीएमआरसी ने मेट्रो ट्रेनों (रोलिंग स्टॉक्स) और सिग्नलिंग सिस्टम का एकीकृत अनुबंध किया था ताक़ी ट्रेनों की डिलिवरी कम से कम समय में सुनिश्चित की जा सके. यही वजह है कि केवल 14 माह के अंदर पहली ट्रेन की डिलीवरी हो रही है.
इसलिए कहा जा रहा है प्रोटोटाइप
कानपुर मेट्रो के अनावरण के बाद उसे प्रोटोटाइप इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि गुजरात से आने के बाद इस ट्रेन की पॉलिटेक्निक डिपो में टेस्टिंग की जाएगी. कानपुर के प्राथमिक सेक्शन के लिए 8 मेट्रो ट्रेनें और कानपुर के दोनों कॉरिडोर को मिलाकर कुल 39 ट्रेनें आएंगी, जिनमें से प्रत्येक में 3-3 कोच होंगे.
कानपुर की मेट्रो ट्रेनों की विशेषताएं
– इन ट्रेनों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग का फ़ीचर होगा, जिसकी मदद से ट्रेनों में लगने वाले ब्रेक्स के माध्यम से 45% तक ऊर्जा को रीजेनरेट करके फिर से सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाएगा. वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए इन ट्रेनों में अत्याधुनिक ‘प्रॉपल्सन सिस्टम’ भी मौजूद होगा.
– इन ट्रेनों में कार्बन-डाई-ऑक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम होगा, जो ट्रेन में मौजूद यात्रियों की संख्या के हिसाब से चलेगा और ऊर्जा की बचत करेगा.
– ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन को ध्यान में रखते हुए ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलेंगी.
कानपुर मेट्रो की ट्रेनों की यात्री क्षमता 974 यात्रियों की होगी.
– इन ट्रेनों की डिज़ाइन स्पीड 90 किमी./घंटा और ऑपरेशन स्पीड 80 किमी./घंटा तक होगी.
– ट्रेन के पहले और आख़िरी कोच में दिव्यांगजनों की व्हीलचेयर के लिए अलग से जगह होगी. व्हीलचेयर के स्थान के पास ‘लॉन्ग स्टॉप रिक्वेस्ट बटन’ होगा, जिसे दबाकर दिव्यांगजन ट्रेन ऑपरेटर को अधिक देर तक दरवाज़ा खुला रखने के लिए सूचित कर सकते हैं ताक़ी वे आराम से ट्रेन से उतर सकें.
– ट्रेनों में फ़ायर एस्टिंग्यूशर (अग्निशमन यंत्र), स्मोक डिटेक्टर्स और सीसीटीवी कैमरे आदि भी लगें होंगे.
– कानपुर की मेट्रो ट्रेनें थर्ड रेल यानी पटरियों के समानान्तर चलने वाली तीसरी रेल से ऊर्जा प्राप्त करेंगी, इसलिए इसमें खंभों और तारों के सेटअप की आवश्यकता नहीं होगी और बुनियादी ढांचा बेहतर और सुंदर दिखाई देगा.
– इन ट्रेनों को अत्याधुनिक फ़ायर और क्रैश सेफ़्टी के मानकों के आधार पर डिज़ाइन किया गया है.
– हर ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे, जिनका विडियो फ़ीड सीधे ट्रेन ऑपरेटर और डिपो में बने सेंट्रल सिक्यॉरिटी रूम में पहुँचेगा.
– हर ट्रेन में 56 यूएसबी (USB) चार्जिंग पॉइंट्स भी होंगे.
– इन्फ़ोटेन्मेंट के लिए हर ट्रेन में 36 एलसीडी पैनल्स भी होंगे.
टॉक बैक बटन: इस बटन को दबाकर यात्री आपात स्थिति में ट्रेन ऑपरेटर से बात कर सकते हैं. यात्री की लोकेशन और सीसीटीवी का फ़ुटेज सीधे ट्रेन ऑपरेटर के पास मौजूद मॉनीटर पर दिखाई देगा.