ABC NEWS: सीबीआई कोर्ट ने बहुचर्चित निठारी कांड के दोनों दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया है. कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को आईपीसी 364 के तहत आजीवन कारावास और आईपीसी 302 के तहत मौत की सजा सुनाई है. जबकि मनिंदर सिंह पंढेर को अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम की धारा 5 के तहत 7 साल कैद की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने कोली पर 40 हजार और पंढेर पर चार हजार का अर्थदंड लगाया है. बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने पंढेर को हत्या, अपहरण और दुष्कर्म के मामले में बरी कर दिया था.
बहरहाल, निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को अब तक 13 मामलों में मौत की सजा मिली है, तो वह तीन मामलों में साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुका है. इस दौरान उसे सिर्फ एक मामले में राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद मेरठ में फांसी दी जानी थी, लेकिन देरी होने से सुप्रीम कोर्ट ने फांसी निरस्त कर दी थी. जबकि हाईकोर्ट ने एक मामले में उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. वैसे स्पेशल सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा का ऐलान होने के बाद कोली और पंढेर के अधिकांश मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं.
जानें क्या था मामला?
29 दिसंबर 2006 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के नोएडा के निठारी केस का खुलासा हुआ था तो उस समय देशभर में क्रूर मामले की चर्चा हुई थी. नोएडा के निठारी गांव की कोठी नंबर डी-5 से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे. यह सब 40 पैकेटों में भरकर नाले में फेंक गए थे. इसके बाद पुलिस ने कारोबारी मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. इसके बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया था.
सुरेंद्र कोली उत्तराखंड का रहने वाला है और वह कारोबारी मनिंदर सिंह पंढेर के घर पर काम करता था. यही नहीं, 2004 में जब पंढेर का परिवार पंजाब चला गया था, तो पंढेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली ही घर में रहते थे. इस दौरान दोनों ने महिलाओं और बच्चियों को अपना शिकार बनाया था. वहीं, निठारी कांड के खुलासे के बाद देशभर में हड़कंप मच गया था.