ABC News: शुक्रवार को नौबस्ता स्थित सुभाष चिल्ड्रेन सोसायटी में हलचल तेज रही. शुक्रवार को जिला प्रोबेशन अधिकारी टीम के साथ बच्चों को शिफ्ट करने के लिए चिल्ड्रेन होम गई तो उन्हें पांच घंटे बाहर इंतजार करना पड़ा. बताया जा रहा है कि सोसायटी के अध्यक्ष ने करीब 5 घंटे तक गेट ही नहीं खोला. इसको लेकर समाज कल्याण अधिकारी ने थाने में तहरीर दी है.
सोसाइटी का लाइसेंस 5 मई को रद कर दिया गया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, जिला प्रोबेशन अधिकारी का कहना है कि दोपहर तक गेट नहीं खोला गया. पुलिस भी गेट खोलने को लेकर लगातार दबाव बनाती रही. इसके बाद भी गेट नहीं खोला गया. इस पर नौबस्ता थाने में सरकारी काम में बाधा डालने के लिए तहरीर दी गई है. हालांकि काफी मशक्कत के बाद अध्यक्ष कमलकांत तिवारी ने गेट खोला, जिसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की गई. प्रोबेशन अधिकारी रागिनी पांडेय का कहना है कि चिल्ड्रेन होम में 14 बच्चे एडॉप्शन और 28 बच्चे निराश्रित हैं. सुबह 9 बजे टीम पुलिस के साथ टीम आ गई थी. काफी मशक्कत के बाद दोपहर करीब ढाई बजे सोसाइटी का गेट खोला है. गेट खोलने के बाद ही बच्चों को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया को शुरू किया गया है. डीपीओ ने बताया कि संस्था में 10 वर्ष से कम उम्र के 42 लावारिस बच्चे मौजूद हैं. सभी को लखनऊ शिफ्ट किया जाना है. वहीं सोसायटी के अध्यक्ष ने पुलिस कमिश्नर को शिकायती पत्र देते हुए आरोप लगाया कि 80 सीपीसी का नोटिस न मानने, कोर्ट की अवहेलना करने कर बच्चों को स्थांतरित करने के आदेश दिए गए हैं.
गौरतलब हो कि सुभाष चिल्ड्रेन सोसाइटी के खिलाफ महिला कल्याण निदेशालय में कई शिकायतें की गई थीं. वहीं, सोसायटी सरकार से मिलने वाले अनुदान का ब्योरा भी नहीं दे पाई थी. इसके साथ ही अप्रैल 2019 से आवासित बच्चों का विवरण भी नहीं दिया जा सका था. इन्हीं सब खामियों के चलते जांच के बाद सुभाष चिल्ड्रेन सोसायटी की मान्यता 5 मई को रद कर दी गई थी.