ABC News: बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार ने एक बैंक अफसर के संपर्क में आने के बाद अकूत धन कमाया. मुख्तार को धन पशु बनाने के चक्कर में अधिकारी ने नौकरी से हाथ धो दिया था मगर 30 साल में उसने मुख्तार को बुलंदियों तक पहुंचा दिया था. इस पूरे सफर में शत्रु सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त को लेकर मुख्तार बाबा के खिलाफ कई बार जांच हुई और एफआईआर भी दर्ज हुई मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बेकनगंज स्थित रामजानकी मंदिर जहां वर्तमान में बाबा स्वीट हाउस की सबसे बड़ी दुकान है, उसी परिसर में वर्ष 1968 में मुख्तार का पिता मोहम्मद इशहाक अहमद उर्फ बाबा पंचर बनाने का काम करता था. तब किराया 35 रुपये था. बाद में मुख्तार ने उसमें बन, बिस्कुट और मिठाई की छोटी दुकान खोली. वह चमनगंज की एसबीआई शाखा में कार्यरत अधिकारी के संपर्क में आया. मुख्तार ने उसे क्या लालच दिया था इसके बारे में कोई नहीं जानता मगर उसकी किस्मत बदल गई. बैंक अधिकारी उसे नियमों का दरकिनार कर खजाने से रुपये निकालकर देने लगा जिससे मुख्तार बहुत कमाई करने लगा था. जो मुनाफा होता था उसे अलग निकालकर बैंक का पैसा वापस कर दिया जाता था. मुख्तार ने सबसे पहले गम्मू खां हाता में 300-400 गज का मकान खरीदा था. उसे तुड़वाकर 50-50 गज के प्लॉट बनाए और बेचकर पैसा कमाया. कादरी हाउस में इसने इसी तरह से काम किया था. यह पहला मौका था जब मुख्तार डी-2 गिरोह के संपर्क में आया और गिरोह को फंड दिया था. उसके बाद इसने गिरोह से कई सम्पत्तियों को खाली कराने का काम किया. मुख्तार बाबा के चक्कर में एसबीआई के अफसर को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. वह अभी भी मुख्तार बाबा के संपर्क में हैं और बाबा स्वीट हाउस में बैठता है. मुख्तार ने बाबा स्वीट हाउस के नाम से दुकान खोली पर उसकी बिरयानी इतनी सफल हो गई कि लोग उसे बाबा बिरयानी के नाम से जानने लगे. उसके बाद मुख्तार ने बेकनगंज के बाद स्वरूप नगर, जाजमऊ में बिरयानी की दुकान खोली. इसके बाद मॉल्स में आउटलेट लिया. प्रयागराज, लखनऊ और वाराणसी में बाबा बिरयानी नाम से फ्रेंचाइजी भी खुलवा दी. बेकनगंज स्थित शत्रु संपत्ति पर बैंक ऑफ बड़ौदा ने मुख्तार बाबा को लाखों का लोन बिना किसी जांच के दे दिया था. जिसपर एडीएम सिटी ने बैंक को नोटिस जारी कर सवाल जवाब किए थे क्योंकि शत्रु सम्पत्ति की खरीद फरोख्त नहीं हो सकती है न ही उसे कई अनुबंध कर लोन उठाया जा सकता है. पुलिस के मुताबिक बाबा स्वीट हाउस शत्रु संपत्ति है. जब मुख्तार के सामने यह बात आई तो उसने इससे लोगों का ध्यान हटाने के लिए हयात को फंडिंग की थी.