ABC News: नवंबर में प्रस्तावित कानपुर मेट्रो के ट्रायल रन से पहले अब इसका सिविल कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है. आइआइटी से मोतीझील तक नौ किलोमीटर रूट में तेजी से कार्य किया जा रहा है. इसके साथ ही अब मेट्रो डिपो में मशीनों का स्थापित करने का काम भी शुरू हो गया है.
पॉलीटेक्निक स्थित मेट्रो डिपों में सात मशीनों को लगाया जाना है. शनिवार को यहां पर पहली मशीन की स्थापना की गई. यूपीएमआरसी अधिकारियों के मुताबिक, डिपो में मशीनरी की 7 सबसे प्रमुख और बड़ी मशीनें इन्सटॉल करने का कार्य फ़ुली ऑटोमैटिक सीएनसी अंडर फ़्लोर पिट व्हील लेथ मशीन (रेल व्हील टर्निंग के लिए) के इंस्टालेशन के साथ शुरू हो चुका है. उन्होंने बताया कि अन्य मशीनें इस माह के अंत तक आएंगी, जिन्हें डिपो में लगाया जाएगा.
क्या है फ़्लोर पिट व्हील लेथ मशीन का कार्य?
ट्रैक पर चलते-चलते व ब्रेक लगने से मेट्रो ट्रेन के पहिये असंतुलित रूप से घिस जाते हैं उस स्थिति में फ़्लोर पिट व्हील लेथ मशीन का प्रयोग कर ट्रेन के पहियों को संतुलित अवस्था में वापस लाया जाता है.
डिपो में लगेंगी यह मशीनें
– फुली ऑटोमैटिक सिंक्रोनाइज्ड पिट जैक मशीन (मेंटेनेंस के दौरान ट्रेन कोच को उठाने और नीचे करने के लिए)
– फ़ुली ऑटोमैटिक सिंक्रोनाइज़्ड मोबाइल जैक (इसका काम भी पिट जैक की तरह ही होता है, बस इसे एक जगह से दूसरी जगह भी ले जाया जा सकता है)
– बोगी टर्न टेबल (मेंटेनेंस के दौरान मेट्रो कोच की बोगी/पहियों को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर ले जाने के लिए)
– ऑटोमैटिक ट्रेन वॉश प्लांट (मेट्रो ट्रेनों की ऑटोमैटिक सफ़ाई के लिए)
– इलेक्ट्रिक बोगी शंटर (मेट्रो ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर ले जाने के लिए)
– री-रेलिंग ऐंड रेस्क्यू व्हीकल (मेन लाइन या डिपो के अंदर डी-रेल होने या पटरी से उतरने की स्थिति में मेट्रो कोच को वापस ट्रैक पर लाने के लिए)
रिपोर्ट: सुनील तिवारी