ABC NEWS: कानपुर के बहुचर्चित आंचल हत्याकांड के बाद जेल में बंद मसाला कारोबारी पति सूर्यांश खरबंदा की कंपनी के खातों में 95 लाख रुपये की सेंध लगाने वालों ने जिस तरह फुल प्रूफ प्लानिंग तैयार की, वो बेहद चौंकाने वाली है. क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने दो ठगों को पकड़ा तो उनका प्लान सुनकर एक बारगी पुलिस भी दंग रह गई. खाते से रकम उड़ाने के बाद एश-ओ-आराम में खर्च करने के साथ रियल स्टेट के धंधे में भी लगाया.
क्या है घटनाक्रम : शहर में नामचीन रसोई मसाला के कारोबारी सूर्यांश खरबंदा की पत्नी आंचल खरबंदा की संदिग्ध परिस्थितियों में घर के अंदर मौत हो गई थी. ससुरालवालों द्वारा मुकदमा दर्ज कराए जाने पर पुलिस ने कारोबारी पति सूर्यांश खरबंदा को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. जेल जाने के बाद उसकी कंपनी के बैंक खाते से 95 लाख रुपये निकाल लिए गए. नजीराबाद थाने में पुलिस ने मेसर्स आक्सो इंपैक्स के अकाउंटेंट बेनाझाबर के रमेश शुक्ला की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया.
पहले तो पुलिस घर में ही किसी पर संदेह करती रही लेकिन बाद में बैंक कर्मियों पर शक हुआ लेकिन, एक कड़ी ऐसी मिली कि पुलिस की जांच को दिशा मिल गई. बीते दिनों पुलिस ने लाखों रुपये की बैंक ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया और यारा साई किरन पुत्र रामा लिंगा वारा प्रसाद निवासी सिरी साउद्धा, राजीव नगर, एसआर नगर हैदराबाद और निमग्दा फनी चौधरी पुत्र वेन्कट राव निवासी प्रशान्ति गोल्डेन, एवेन्यू प्रशान्ति नगर थाना बचुपल्ली, हैदराबाद को गिरफ्तार किया. दोनों से पूछताछ में बेहद चौंकाने वाला प्लान सामने आया.
गूगल पर खबर पढ़कर बनाते थे ठगी की योजना : डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि ठगों का यह गिरोह गूगल में बड़े लोगों के बारे में खबर पढ़ता था कि किसकी मृत्यु हुई या कोई जेल गया. जैसे ही उन्हें इसकी जानकारी मिलती वह योजना बनाने में जुट जाते। सूर्यांश खरबंदा के जेल जाने की खबर भी उन्होंने गूगल पर ही पढ़ी थी. इसके बाद ठगों ने मसाला कारोबारी की जानकारी निकाली और नकली आधार कार्ड बनावा लिया. इसकी मदद से सूर्यांश के बंद पड़े मोबाइल नंबर को पोर्ट करा लिया. इसके बाद ठगों ने उनके बैंक आफ बड़ौदा और आइसीआइसीआइ के बैंक खातों से चेक बुक जारी करवा कर रकम निकाल ली. लंबी जांच के बाद क्राइम ब्रांच ने दो आरोपितों को हैदाराबाद से गिरफ्तार कर लिया. सोमवार को दोनों ठगों को ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर लाया गया. दोनों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया.
कानपुर आकर डाकिये से ली थी चेक बुक : बड़ा सवाल था कि आखिर ठगों तक सूर्यांश के घर के पते पर जारी चेकबुक कैसे पहुंची। पूछताछ में पता चला कि चेकबुक सूर्यांश के घर के पते पर ही जारी की गई. चेकबुक बैंक से चली तो उसकी गतिविधियों की जानकारी मोबाइल पर लगातार आ रही थी. जैसे ही चेकबुक डाकघर पहुंची. दोनों ठग कानपुर पहुंचे और डाकिये से सीधे चेकबुक ले ली.
रियल एस्टेट में लगाया पैसा : आरोपितों ने ठगी की रकम घूमने फिरने, खाने-पीने व रियल स्टेट फ्लैट एग्रीमेंट में एडवांस के रूप में खर्च करने की जानकारी दी. पुलिस आरोपितों के इन दावों की पुष्टि कर रही है. सूत्रों के मुताबिक साइबर ठगी का यह गिरोह काफी बड़ा है और इसके एक दर्जन से भी ज्यादा सदस्य हैं. पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना ने पूरे मामले का राजफाश करने वाली क्राइम ब्रांच की टीम को 50 हजार रुपये का इनाम और प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की है.
कंपनी के एकाउंटेंट को ही फंसाने की थी योजना : जांच में सामने आया है कि ठगों ने मुकदमे के वादी रमेश शुक्ला को इस मामले में फंसाने की योजना बनाई थी. उन्होंने रमेश शुक्ला का भी फर्जी आधारकार्ड बनवाया और उनके मोबाइल नंबर का डुप्लीकेट सिम निकलवाकर उसकी लोकेशन इस तरह सेट की, ताकि पुलिस कि जांच में रमेश शुक्ला फंस जाएं. पुलिस ने इसे सच भी माना और रमेश शुक्ला से पूछताछ भी की. लंबी पूछताछ के बाद जब रमेश शुक्ला से पुलिस को कुछ खास नहीं मिला तो उन्होंने जांच आगे बढ़ा दी.