ABC News: इंसेफेलाइटिस, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और कालाजार जैसी संक्रामक बीमारियों के खिलाफ यूपी में 1 जुलाई से बड़ा अभियान चलेगा. इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ कई अन्य सम्बन्धित विभाग अपना योगदान देंगे. सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को टीम-9 के साथ बैठक के बाद इस बारे में विस्तृत रूप से कार्ययोजना सामने रखी. उन्होंने कहा कि सभी विभागों को मिलकर इस अभियान को सफल बनाना होगा.
आगामी 01 जुलाई से पूरे प्रदेश में एक साथ ‘संचारी रोग नियंत्रण अभियान’ प्रारंभ होगा: #UPCM @myogiadityanath pic.twitter.com/O1f4YCKCtH
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) June 23, 2022
सीएम ने बताया कि पहले प्रदेश के 38 जिलों तक अभियान सीमित था लेकिन प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग बीमारियों के प्रकोप को देखते हुए पूरे प्रदेश को इसमें शामिल कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि इंसेफेलाइटिस के लिहाज से कुशीनगर से सहारनपुर तक, डेंगू के लिहाज से मथुरा-फिरोजाबाद-आगरा-कानपुर-लखनऊ, मलेरिया के लिहाज से बरेली और आसपास, कालाजार के लिहाज से वाराणसी और आसपास के जनपद और चिकन गुनिया के लिहाज से बुंदेलखंड का क्षेत्र संवेदनशील है. किसी न किसी रूप में पूरा प्रदेश कम या ज्यादा रूप में इन बीमारियों से प्रभावित है. बीमारी बढ़ती तब है जब हम कम की अनदेखी और लापरवाही करते हैं. इसीलिए हमने तय किया है कि पूरे प्रदेश में अभियान चलना चाहिए.
लोगों को संचारी रोग नियंत्रण के प्रति जागरूक करने हेतु @InfoDeptUP प्रत्येक जिला मुख्यालय, जिला तहसील, ब्लॉक मुख्यालय, नगर निकाय, चिकित्सालय के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग्स लगवाए।
लोगों को बीमारियों से बचाव हेतु जानकारी दी जाए: #UPCM @myogiadityanath pic.twitter.com/MgsKZFOQoD
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उन्होंने कहा कि पहली जुलाई से हर जिला, तहसील, ब्लॉक मुख्यालय पर, हर नगर निकाय, हर सार्वजनिक स्थान जैसे चिकित्सालय आदि पर सूचना विभाग, स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर बड़े-बड़े होर्डिंग लगाएगा. संचारी रोगों में कौन-कौन सी बीमारियां हैं. कौन-कौन सी सावधानियां बरती जानी हैं। इन सब की जानकारी इन होर्डिंग्स पर होगी. सीएम योगी ने कहा कि इंसेफेलाइटिस से हर साल प्रदेश में करीब 2000 मौतें होती थीं. ये मौतें 40 वर्षों से होती थीं. अब ये मामले न के बराबर रह गए हैं. संचारी रोगों की रोकथाम में सर्विलांस का भी महत्व है. प्रदेश में इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर बने, मिनी पीकू, पीकू बनाए गए. स्वच्छता, सेनेटाइजेशन पर जोर दिया गया. हर घर में शौचालय बनाए गए.
नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को पानी उबालने के बाद अच्छी तरह छानकर ही पीने के लिए दें: #UPCM @myogiadityanath pic.twitter.com/aqYJ43G2eO
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शुद्ध पेयजल आपूर्ति के कार्यक्रम चले. इन सब प्रयासों से बीमारी पर काबू पाया गया. उन्होंने कहा कि जहां पर शुद्ध पेयजल नहीं भी है वहां भी हम बोल सकते हैं कि बच्चे आएं तो पानी उबाल कर ठंडा होने के बाद छानकर ही पीने को दें. पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में यदि लोग रात में हैंडपंप का पानी बर्तन में रख देंगे तो सुबह तक पानी के नीचे पूरी सतह बन जाती है. हैवी वॉटर है. ऐसे इलाकों में भी पानी छान कर पीयेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा. आवश्यक नहीं कि हर जगह आरओ या ट्रीटमेंट प्लांट लगा होगा. हम शैलो हैंडपंप हटाने की बात करते हैं लेकिन उसका विकल्प क्या दे रहे हैं. जरूरी है कि तत्काल विकल्प दें नहीं है तो पानी उबाल कर ही पीने को लोगों से बोलें.