ABC News: पिछले साल गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प और तनाव के बाद दोनों देश के सैनिक पूर्वी लद्दाख से लेकर नार्थ ईस्ट से लगती भारत-चीन सीमा पर तैनात है. हिमालय के इन इलाकों में कई ऐसे पोस्ट हैं, जो बेहद ऊंचाई पर हैं और यहां सियाचिन जैसे हालात हैं. भारतीय सैनिक इन तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद चीनी सेना की हर घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने में लगे हुए हैं, लेकिन चीनी सैनिकों के लिए यहां रुकना बेहद मुश्किल होता जा रहा है.
सुरक्षा एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक भले ही चीन ने अपने सैनिकों को इन इलाकों में तैनात किया हो, लेकिन PLA के सैनिक ऐसे इलाकों में ड्यूटी के लिए ट्रेंड नहीं है. ठंड और दूसरी बीमारियों की वजह से पिछले एक साल में कई चीनी सैनिकों की मौत हो चुकी है, जिससे चीन परेशान है.हिमालय के इन इलाकों में कई ऐसी भी जगहें हैं, जो बेहद उंचाई पर होने की वजह से यहां ऑक्सीजन (Oxygen) की भी कमी होती है और जवानों के लिए सांस लेने में बेहद मुश्किल आती है. चीन अब ऐसे में इन इलाकों में तैनाती के लिए जा रहे अपने हर जवान को खास तरीके के बने पोर्टेबल-ऑक्सीजन सप्लाई डिवाइस दे रहा है, जिससे जवान ऐसे इलाकों में लंबे समय तक ड्यूटी कर सकें. गलवान में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद से चीन ने सीमा के नजदीक हथियारों और मिसाइलों की तैनाती के साथ-साथ अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है. पिछले साल 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में कई चीनी सैनिक मारे गए थे. जबकि भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीन का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना ने भी सीमा पर M777 गन से लेकर कई अन्य मिसाइलों को तैनात किया हुआ है. इसके साथ ही भारतीय सेना को सीमा हो या फिर सियाचिन की ऊंची चोटी, ऐसे इलाकों में तैनाती का पुराना अनुभव है.