ABC News: बढ़ती महंगाई को लेकर कांग्रेस की आतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पीएम मोदी को पत्र लिखा- प्रधानमंत्री जी, आशा है आप सकुशल होंगे. मैं यह पत्र आपको आसमान छूती तेल व रसोई गैस की कीमतों से हर नागरिक के लिए उत्पन्न गहन पीड़ा एवं संकट से अवगत कराने के लिए लिख रही हूँ. एक तरफ, भारत में रोज़गार खत्म हो रहा है, कर्मचारियों का वेतन घटाया जा रहा है और घरेलू आय निरंतर कम हो रही है वहीं दूसरी तरफ, मध्यम वर्ग एवं समाज के आखिरी हाशिये पर रहने वाले लोग रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. तेजी से बढ़ती महँगाई और घरेलू सामान एवं हर आवश्यक वस्तु की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी ने इन चुनौतियों को और अधिक गंभीर बना दिया है. खेद इस बात का है कि संकट के इस समय में भी भारत सरकार लोगों के कष्ट व पीड़ा दूर करने की बजाय उनकी तकलीफ़ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है.
“I fail to understand how any government can justify such thoughtless and insensitive measures directly at the cost of our people.”
– Congress President Smt. Sonia Gandhi writes to PM Modi on rising fuel prices. pic.twitter.com/qqBV1Lj0RM
— Congress (@INCIndia) February 21, 2021
ईंधन के दाम इस समय ऐतिहासिक रूप से अधिकतम ऊँचाई पर हैं जो पूरी तरह अव्यवहारिक हैं. यह तथ्य है की देश के कई हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रु. प्रति लीटर को भी पार कर गए हैं. डीज़ल के निरंतर बढ़ते दामों ने करोड़ों किसानों की परेशानियों को और अधिक बढ़ा दिया है. देश के तमाम नागरिक इस बात से परेशान हैं कि यह वृद्धि ऐसे समय पर की जा रही है, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें मध्यम स्तर पर ही हैं. सही बात तो यह है कि कच्चे तेल की ये कीमतें यूपीए सरकार के कार्यकाल से लगभग आधी हैं. इसलिए पिछले 12 दिन में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में की गई वृद्धि, विशुद्ध रूप से दुस्साहसिक मुनाफाखोरी का उदाहरण है. मैं यह नहीं समझ पा रही कि कोई सरकार लोगों की कीमत पर उठाए ऐसे बेपरवाह और असंवेदनशील उपायों को कैसे सही ठहरा सकती है? आपकी सरकार ने डीज़ल पर एक्साईज़ ड्यूटी को 820 फीसदी और पेट्रोल को 258 प्रतिशत बढ़ाकर पिछले साढ़े छः साल में 21 लाख करोड़ रु. से अधिक की कर वसूली की है. ईंधन के दामों पर करों के रूप में की गई इस मुनाफाखोरी का देश के लोगों को कोई लाभ नहीं मिला.
जैसा मैंने कहा था कि पिछले साल कच्चे तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल आने के बाद भी आपने इसका लाभ कीमतें कम करके आम आदमी को देने से इंकार कर दिया था. ईंधन के दामों को नियंत्रण से बाहर करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतों से जोड़ने का सिद्धांत केवल यही है कि कीमतें कम होने पर लोगों को तत्काल इसका पर्याप्त और अनुपातिक लाभ मिले. लोगों को यह लाभ न दे पाने में आपकी सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है, जिसका अर्थ साफ है कि लोगों को जानबूझकर उनके जायज़ लाभ से वंचित किया जा रहा है. इसकी बजाय, विडंबना यह है कि आपकी सरकार पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक एक्साईज़ ड्यूटी लगाने में अनुचित रूप से अति उत्साही रही है, आपकी सरकार पेट्रोल पर 33 रु. प्रति लीटर और डीज़ल पर 32 रु. प्रति लीटर की अत्यधिक एक्साईज़ ड्यूटी लगाकर उनके आधार मुल्य से भी अधिक कर थोप रही है. यह आपकी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन से निपटने के लिए जबरन वसूली के समान है. विपक्ष का मुख्य दल होने के नाते मेरा आपसे आग्रह है कि आप पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साईज़ ड्यूटी आंशिक रूप से कम करके राजधर्म को निभाते हुए इनकी कीमतें कम करें. एलपीजी के घरेलू नॉन सब्सिडाईज़्ड सिलेंडर की कीमतें दिल्ली में 769 रु. और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में 800 रु. प्रति सिलेंडर को भी पार कर गई हैं. यह और भी निर्दयतापूर्ण है क्योंकि इससे हर घर प्रभावित होता है. सरकार के पास दिसंबर, 2020 से लेकर अब तक ढाई महीने में प्रत्येक सिलेंडर की कीमत 175 रु. बढ़ा देने का क्या औचित्य हो सकता है?
सच्चाई यह है कि देश का जीडीपी औंधे मुंह गिर रहा है और पेट्रोल-डीज़ल एवं गैस की कीमतें अनियंत्रित होकर आसमान छू रही हैं. समान रूप से परेशानी की बात यह भी है कि लगभग 7 साल से सत्ता में होने के बावजूद आपकी सरकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन के लिए पिछली सरकारों को दोषी ठहराने से बाज नहीं आ रही. सच्चाई यह है कि देश में 2020 में कच्चे तेल का उत्पादन पिछले 18 साल के न्यूनतम स्तर पर है. सरकारों का चुनाव लोगों का बोझ कम करने के लिए किया जाता है, न कि उनके हितों पर कुठाराघात करने के लिए. मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि आप ईंधन की कीमतों में तत्काल कमी करके कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ मध्यम श्रेणी, वेतनभोगी तबके, किसानों, गरीबों और आम आदमी को दें. ये सब लोग लंबे समय से अभूतपूर्व आर्थिक मंदी, चौतरफा बेरोजगारी, वेतन में कमी और नौकरियां खो देने के कारण भयावह संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि यह आपकी सरकार के लिए बहाने खोजने की बजाय समाधान पर ध्यान केंद्रित करने का समय है. भारत इससे बेहतर का हकदार है.